मध्य प्रदेश में 'जल सत्याग्रह' का नौवां दिन, सत्याग्रहियों की सेहत बिगड़ी

खंडवा:

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में चल रहा जल सत्याग्रह रविवार को अपने नौंवे दिन में प्रवेश कर गया है। एक तरफ जहां सत्याग्रह में डटे लोगों के पैरों की चमड़ी गलने के साथ उन्हें सर्दी, जुकाम और बुखार तक होने लगा है, वहीं सरकार घुटनों तक पानी में बैठकर किए जा रहे इस सत्याग्रह को आधारहीन मान रही है।
 
ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 189 मीटर से बढ़ाकर 191 कर दिया गया है, जिससे कई एकड़ जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है। इसलिए परियोजना से प्रभावित और नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधियों ने विरोध स्वरूप 11 अप्रैल से घोगल गांव में जल सत्याग्रह शुरू किया। रविवार को जल सत्याग्रह का नौवां दिन है।
 
नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल भी जल सत्याग्रहियों में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि 20 लोग पानी में छाती तक डूबे हुए हैं। लंबे समय तक पानी में डूबे रहने के कारण सत्याग्रहियों के पैरों की चमड़ी गल-गल कर जलीय जंतुओं का निवाला बनने लगी है। इतना ही नहीं, कई लोग सर्दी, जुकाम और बुखार से भी पीड़ित हैं।
 
अग्रवाल का कहना है कि उनकी मांग है कि प्रभावितों को पुनर्वास नीति के तहत लाभ और मुआवजा दिया जाए, मगर राज्य सरकार ने ऐसा किए बगैर ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा, 'यह सत्याग्रह तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी जायज मांगें नहीं मान लेती।'
 
वहीं, सरकार ने शनिवार देर शाम जारी एक आधिकारिक बयान में कहा है कि बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से नहर में पानी आया है और इससे किसानों को फायदा होगा। किसान इससे उत्साहित हैं, वहीं बांध का जलस्तर बढ़ने से कोई भी हिस्सा डूब क्षेत्र में नहीं आया है। सरकार ने जलसत्याग्रह को भी आधारहीन करार दिया है।


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