यह ख़बर 02 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

रायल तेलंगाना का 'शिगूफा' क्या कांग्रेस का चतुराई भरा कदम?

हैदराबाद:

आंध्र प्रदेश के राजनीतिक दलों में इस तरह की चर्चा चल रही है कि कांग्रेस आलाकमान ने तेलंगाना के बजाय ‘रायल तेलंगाना’ राज्य बनाने का विचार बड़ी चतुराई से छेड़ा है ताकि दोनों पक्षों के नेताओं को संतुष्ट किया जा सके।

केंद्रीय मंत्रिमंडल कुछ दिन के भीतर आंध्र प्रदेश राज्य पुनर्गठन मसौदा विधेयक पर विचार कर सकता है।

रायल तेलंगाना का मुद्दा केवल अटकल नहीं हो सकता, यह बात तब जाहिर हुई जब कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह से नई दिल्ली में पूछा गया कि क्या केंद्र इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है तो उन्होंने कहा, ‘मैं कोई चीज खारिज नहीं करूंगा।’ कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति ने 30 जुलाई को हैदराबाद समेत 10 जिलों के साथ अलग तेलंगाना राज्य बनाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन बताया जाता है कि ताजा योजना के अनुसार रायलसीमा के सभी चारों जिलों को समान रूप से बांटा जाना है और इनमें से दो कुरनूल और अनंतपुरम को तेलंगाना में मिलाने का विचार है ताकि रायल तेलंगाना राज्य बनाया जाए।

न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा समिति की सिफारिशों में भी यह सुझाव शामिल था। बताया जाता है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और इस मामले में विचार कर रहे जीओएम के सदस्य जयराम रमेश ने आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दामोदर राजानरसिंहा से नयी दिल्ली में मुलाकात के वक्त रायल तेलंगाना का प्रस्ताव रखा था।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

हालांकि मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन और अनंतपुरम जिले के कुछ कांग्रेसी नेताओं को छोड़कर रायल तेलंगाना की योजना किसी को रास आती नहीं दिखाई दे रही।