यह ख़बर 19 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

2जी : राजा बोले, अपनी बेगुनाही, पीएम से सलाह की बात साबित करूंगा

खास बातें

  • संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट में 2जी घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीन चिट देते हुए कहा गया है कि उन्हें तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा ने 'गुमराह' किया था।
चेन्नई / नई दिल्ली:

जेपीसी मसौदा रिपोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम मुद्दे पर प्रधानमंत्री को गुमराह करने के आरोप का सामना करने वाले पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने सभी काम प्रधानमंत्री से विचार-विमर्श करके ही किया था और वह अपने बचाव में अगले सप्ताह समिति के समक्ष विस्तृत जवाब भेजेंगे।

राजा ने संवाददाताओं से कहा, मैंने सब कुछ प्रधानमंत्री से विचार-विमर्श करके ही किया। पद छोड़ने के बाद भी मैंने सभी लोगों को बताया कि मैंने जो कुछ किया, वह प्रधानमंत्री से विचार-विमर्श कर ही किया। उन्होंने कहा, अपनी गिरफ्तारी के बाद मैंने अदालत में भी वही बात कही और आरोप तय किए जाने के समय भी यही दलील दी। मेरा रुख पूरी तरह से स्पष्ट रहा है।

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए जेपीसी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में प्रधानमंत्री को दूरसंचार मंत्रालय की ओर से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में गुमराह किया गया था।

राजा ने कहा, मैं अपने को निर्दोष साबित कर दूंगा और जेपीसी को नोट भेजूंगा। मुझे उम्मीद है कि वे मुझे बुलाएंगे। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के बारे में एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, पूरा 2जी मामला गड़बड़ी से भरा है। चाहे कैग हो... उच्चतम न्यायालय के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए मैं कहना चाहता हूं कि नैसर्गिक न्याय के अनुरूप नहीं है। मुझे न्यायपालिका में विश्वास है और मैं अपने को निर्दोष साबित करूंगा।

जेपीसी ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीन चिट देते हुए कहा है कि उन्हें तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा ने 'गुमराह' किया था। साथ ही जेपीसी ने कहा कि राजा ने जो आश्वासन दिए थे, वे झूठे साबित हुए। यह रिपोर्ट गुरुवार को सदस्यों के बीच वितरित की गई। 25 अप्रैल को रिपोर्ट को स्वीकार किया जाएगा।

इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल जीई वाहनवती द्वारा 7 जनवरी, 2008 के प्रेस नोट को देखे जाने के बाद राजा ने उससे छेड़छाड़ की थी। रिपोर्ट में कहा गया है, समिति यह बताना चाहती है कि 'पहले आओ पहले पाओ' (एफसीएफएस) से संबंधित प्रक्रिया तथ्यों का गलत प्रस्तुतीकरण थी और यह उस समय मौजूद प्रक्रियाओं से अलग थी।

जेपीसी की रिपोर्ट के मसौदे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के निष्कर्ष को भी खारिज किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नुकसान का यह आंकड़ा सही अनुमान पर आधारित नहीं है। हालांकि बीजेपी और लेफ्ट ने इस रिपोर्ट के खिलाफ असहमति प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। बीजेपी नेता और समिति के सदस्य यशवंत सिन्हा ने कमेटी के अध्यक्ष पीसी चाको पर आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम और चिदंबरम को बचाने के लिए चाको ने नैतिकता ताक पर रख दी।

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दूसरी तरफ लेफ्ट ने सवाल उठाया है कि पीएम और राजा को जेपीसी में क्यों नहीं बुलाया गया। सीपीआई नेता गुरुदास दास गुप्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट लीपापोती है और अब इस पर कमेटी के अध्यक्ष पीसी चाको को कई सवालों का जवाब देना होगा। बीजेपी और लेफ्ट दोनों इस मुद्दे को संसद में जोरशोर से उठाने की तैयारी में हैं। वहीं, डीएमके ने ए राजा को जेपीसी के समक्ष अपना पक्ष रखने की इजाजत देने की अपनी मांग फिर उठाते हुए कहा कि इन आरोपों पर राजा को स्पष्टीकरण देने की इजाजत नहीं मिलने की सूरत में समिति की रिपोर्ट बेकार रह जाएगी।