विदर्भ सिंचाई प्रोजेक्ट्स की जांच शुरू, NCP के नेता रडार पर

मुंबई:

खुद को घिरता देख महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने विदर्भ के विवादित सिंचाई प्रोजेक्ट की जांच का ऐलान किया है। जांच के दायरे में वह प्रोजेक्ट भी है, जिसमें हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर बीजेपी सांसद पर भी उंगुली उठी है।

रिवॉल्वर कांड से परेशान राज्य के सिंचाई मंत्री गिरीश महाजन ने मंगलवार को मुम्बई स्थित विधान भवन में संवाददाताओं को बताया कि विदर्भ के 3 अहम सिंचाई घोटालों की जांच अब एंटी करप्शन ब्यूरो करेगा। राज्य सरकार को हाल ही में ACB ने यह सूचना दी है।

विदर्भ सिंचाई विकास कॉरपोरेशन इस सरकारी संस्थान के तहत निर्माणाधीन 3 सिंचाई प्रोजेक्ट्स जांच के दायरे में होंगे। भंडारा जिले की गोसीखुर्द परियोजना की लागत 1983 को 372 करोड़ रुपये थी। जो अब बढ़ते हुए 14 हजार करोड़ तक पहुंच चुकी है। अबतक 8 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद परियोजना अधूरी है।

पैनगंगा नदी के पानी को रोकने के लिए बांध तो बन गया है। लेकिन, पानी खेत तक ले जाने के लिए जरूरी नहरों का काम पूरा नहीं हो सका। यह काम करनेवालों में कॉन्ट्रैक्टर्स में से एक बीजेपी के राज्यसभा सदस्य अभय संचेती हैं। इनके किए काम पर पहले ही उंगुली उठ चुकी है।

इसी के साथ, राज्य में किसान आत्महत्या में अव्वल बने हुए यवतमाल की लोअर पैनगंगा परियोजना की भी जांच होगी। सन 1997 से चल रहा यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ, तब इस की लागत 1400 करोड़ रुपये थी। अब यही लागत 10 हजार 500 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है।

इसके अलावा विदर्भ के ही बुलडाणा ज़िले की जिगाव सिंचाई परियोजना, 1996 में 698 करोड़ में शुरू होकर आज 4044 करोड़ रुपये में भी पूरी हो न सकी है, जांच के दायरे में है। राज्य का सिंचाई विभाग सर्वाधिक समय एनसीपी मुखिया शरद पवार के परिजनों के पास रहा है। जिस के चलते विदर्भ की सिंचाई परियोजनाओं के जांच के दायरे में एनसीपी नेता अजीत पावर के होने की बात कही जा रही है। इसे भांपकर एनसीपी बचाव में आ चुकी है।

एनसीपा के विधायक शशिकांत शिंदे ने कहा है कि बीजेपी सरकार जो चाहे जांच करा ले, हम डरने वाले नहीं। बस वे जांच के नाम पर हौवा न बनाए। शिंदे मुंबई में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।

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फडणवीस सरकार फरवरी के पहले हफ्ते में कोंकण के 12 सिंचाई प्रोजेक्ट्स की जांच के आदेश दे चुकी है। लेकिन, तब विदर्भ की परियोजनाओं को जांच के दायरे में नहीं लाया गया था। जिससे सरकार पर पक्षपात का आरोप लगा। इससे बचने के लिए राज्य सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो को ख़त लिखकर विदर्भ की विवादित सिंचाई परियोजनाओं के जांच के आदेश भी दिए। विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने दावा किया था कि महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाला 70 हजार करोड़ रुपये का है।