यह ख़बर 08 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

आडवाणी ने दी चुनौती, 'मुझे भी डालो जेल में'

खास बातें

  • आडवाणी ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि नोटकांड का स्टिंग ऑपरेशन उनकी जानकारी में हुआ था, इसलिए उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए।
नई दिल्ली:

कैश फॉर वोट मामले में हुई गिरफ्तारियों को लेकर संसद में जोरदार हंगामा हुआ। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि नोटकांड का स्टिंग ऑपरेशन उनकी जानकारी में हुआ था, इसलिए उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए। आडवाणी ने कहा कि वह इस स्टिंग ऑपरेशन की ज़िम्मेदारी लेते हैं, इसलिए अगर बीजेपी के दो पूर्व सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा दोषी हैं, तो वह भी दोषी हैं और उन्हें भी जेल भेज दिया जाए। आडवाणी के इस बयान के बाद लोकसभा में जोरदार हंगामा हुआ। लोकसभा में आडवाणी को अपनी बात रखने की अनुमति नहीं देने को दुखद करार देते हुए भाजपा ने कहा कि जिन लोगों ने इस घोटाले को उजागर किया उन्हें जेल भेजा गया और जिनकी सरकार बची वह प्रधानमंत्री हैं। इस मामले में आडवाणी ने लोकसभा में प्रश्नकाल निलंबित करने का एक नोटिस दिया था। राज्यसभा में रविशंकर प्रसाद ने नोटिस दिया। दोनों सदनों में शोर-शराबे के कारण प्रश्नकाल नहीं चला। इसके बाद आडवाणी के नेतृत्व में दोनों सदनों के राजग सांसदों ने संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग की। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने संवाददाताओं से कहा,  वैसे तो संप्रग सरकार का कार्यकाल घोटालों से भरा रहा है लेकिन 2008 का नोट के बदले वोट कांड सबसे बड़े घोटालों में है। किस प्रकार की बेइमानी से सरकार बची.. यह उसका ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वैसे तो विकीलीक्स समेत कई खुलासों में यह बात सामने आई लेकिन इस मामले में जो घटना सामने आई है, वह अत्यंत अन्यायपूर्ण है। जिन्होंने इस कांड का भंडाफोड़ किया, वह अंदर हैं लेकिन जिनकी सरकार बची, वह प्रधानमंत्री हैं। सुषमा ने कहा कि आडवाणी ने अपने जीवन में पहली बार प्रश्नकाल स्थगित करने का नोटिस दिया लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया। और जब शोर शराबे में बोलने की कोशिश की तो उनका माइक बंद कर दिया गया और रिकार्ड में कुछ भी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया गया। उनकी वरिष्ठता का कोई ध्यान नहीं रखा गया। राज्यसभा में भी किसी को बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इसी के विरोध में सम्पूर्ण राजग ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया क्योंकि सच बोलने बाले अंदर हैं और झूठ बोलने वाले मलाई खा रहे हैं।(इनपुट भाषा से भी)


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