तो पाकिस्तान दिवस में शामिल होने मजबूरी में गए थे जनरल वीके सिंह?

नई दिल्ली:

पाकिस्तान दिवस के मौक़े पर पाकिस्तान उच्चायोग में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के बाद विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने कुछ ऐसे ट्वीट्स किए हैं, जिनसे यह साफ होता है कि सरकार की तरफ से मिली इस ज़िम्मेदारी को निभा कर वे खुश नहीं हैं।

वीके सिंह साढ़े सात बजे शाम को पाकिस्तान हाई कमीशन पहुंचे थे और वहां बमुश्किल दस मिनट रुके। इसके बाद रात दस बज कर एक मिनट से लेकर दस बज कर चार मिनट के बीच उन्होने पांच ट्वीट्स किए हैं। इनमें पहले तीन ट्वीट्स हैशटैग ड्यूटी के साथ है और इनसे ज़ाहिर होता है कि वह सरकार की तरफ से मिली ज़िम्मेदारी को बेमन से निभाने वहां गए थे। (पढ़ें - पाक दिवस में शामिल वीके सिंह)

पहले ट्वीट में उन्होने साफ लिखा है कि ड्यूटी ऐसी चीज़ है जिसे कानूनी और नैतिक वजहों से निभाने के लिए एक व्यक्ति बंधा होता है। आखिरी के दो ट्वीट में उन्होने हैशटैग डिस्गस्ट यानी घृणा शब्द का इस्तेमाल करते हुए नैतिक समझ, सिद्धांत को चोट पहुंचाने वाला या स्वाद को चोट पहुंचाने वाला करार देने वाला लिखा है।

 

इससे पहले पत्रकारों से बात करते हुए वीके सिंह ने सिर्फ इतना कहा था कि सरकार को किसी एक राज्यमंत्री को यहां भेजना था और सरकार ने पाकिस्तान उच्चायोग में प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें भेजा। मैं वहां गया और वापस आ गया।
 
वीके सिंह देश के सेना प्रमुख रह चुके हैं। पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद और सीमा पर सीज़फायर उल्लंघन जैसी वारदात को देखते हुए किसी भी सेना प्रमुख से पाकिस्तान के प्रति नरम रवैये की उम्मीद नहीं की जा सकती।

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वीके सिंह बेशक अब पूर्व सेना प्रमुख हों, लेकिन ऐसा लगता है कि उनकी सैन्य पृष्ठभूमि उन्हें पाकिस्तान हाई कमीशन जा कर इस तरह की ज़िम्मेदारी निभाने की दिल से इजाज़त नहीं देता। ख़ासतौर पर तब जब इसी जलसे में अलगाववादी हुर्रियत नेताओं को भी आमंत्रित किया गया हो, जिनसे पाक हाईकमिश्नर की मुलाक़ात की वजह से पिछले साल अगस्त में सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की प्रक्रिया रोक दी थी।