यह ख़बर 09 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

फांसी से पहले अफजल ने नमाज अदा की थी : तिहाड़ जेल अधिकारी

खास बातें

  • जेल अधिकारी ने बताया कि अफजल गुरु को सुबह करीब 5 बजे जगाया गया और चाय दी गई। गुरु ने जगने के तुरंत बाद नमाज अदा की। उसे साढ़े सात बजे फांसी के तख्ते की ओर ले जाया गया।
नई दिल्ली:

संसद पर हमले के दोषी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अफजल गुरु को शनिवार सुबह जब फांसी पर लटकाने के लिए ले जाया जा रहा था, उस समय उसके चेहरे पर पश्चाताप का कोई भाव नहीं था।

अफजल की फांसी की पूरी तैयारी से वाकिफ तिहाड़ जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया, अंतिम क्षणों के दौरान वह बेहद शांत और स्थिर था। उसके चेहरे पर पछतावे का कोई भाव नहीं दिख रहा था। तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, अंतिम क्षणों में वह काफी शांत और स्थिर था। वह काफी स्थिरचित्त दिख रहा था।

अधिकारी ने बताया कि अफजल को जेल नंबर 3 में रखा गया था। उसे शुक्रवार शाम ही फांसी के बारे में सूचित कर दिया गया था। उसके बाद वह कुछ बेचैन दिख रहा था। 43-वर्षीय अफजल गुरु को सुबह 8 बजे जेल नंबर तीन में गोपनीय ढंग से फांसी दे दी गई। फांसी के दौरान एक मजिस्ट्रेट, एक डॉक्टर और जेल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि गुरु को सुबह करीब 5 बजे जगाया गया और चाय दी गई। गुरु ने जगने के तुरंत बाद नमाज अदा की। उसे साढ़े सात बजे फांसी के तख्ते की ओर ले जाया गया। यह पूछे जाने पर कि क्या अंतिम क्षणों में उसे कोई पछतावा था, जेल महानिदेशक विमला मेहरा ने कहा, वह खुश और स्वस्थ था। यह आपके सवाल का जवाब है। गुरु को फांसी के तख्ते की ओर ले जाने के पूर्व एक डॉक्टर ने उसके स्वास्थ्य का परीक्षण किया। मेहरा ने कहा कि फांसी में सामान्य प्रक्रिया का पालन किया गया।

जेल के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फांसी के बाद उसके शव को जेल परिसर में ही धार्मिक रिवाजों का पालन करते हुए दफना दिया गया। जेल अधिकारियों ने उसकी आखिरी इच्छा या उसके आखिरी शब्द आदि के बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया।

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पूर्व फल व्यवसायी गुरु को संसद पर हमला करने वाले आतंकवादियों को पनाह देने और षडयंत्र रचने का दोषी ठहराया गया था। एक विशेष अदालत ने उसे 2002 में फांसी की सजा दी थी, जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय ने 2005 में सही ठहराया था। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दिनों गुरु की दया याचिका को नामंजूर कर दिया था। गुरु के सोपोर में रह रहे परिवार को सरकार के फैसले के बारे में सूचित कर दिया गया था कि उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया गया है।