खास बातें
- विधानसभा अध्यक्ष ने शाम को स्पष्ट किया कि प्रस्ताव वास्तव में रद्द हो गया और इसका भाग्य अब पूरी तरह प्रस्ताव लाने वाले निर्दलीय विधायक इंजीनियर राशिद के हाथों में है।
कश्मीर: संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के क्षमादान प्रस्ताव पर बुधवार को दिनभर रहे ऊहापोह के बाद जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष मोहम्मद अकबर लोन ने शाम को स्पष्ट किया कि प्रस्ताव वास्तव में रद्द हो गया और इसका भाग्य अब पूरी तरह प्रस्ताव लाने वाले निर्दलीय विधायक इंजीनियर राशिद के हाथों में है। लोन ने कहा कि यदि यह विधानसभा में दोबारा लाया जाता है तो वह इसकी जांच करेंगे कि इसे स्वीकार किया जाए या नहीं। प्रस्ताव पर चर्चा बुधवार को ही होनी थी, लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी, जिसके बाद कहा गया कि इस पर चर्चा अब विधानसभा के अगले सत्र में होगी। इससे पहले कांग्रेस और भाजपा के विधायकों ने कुछ भाजपा सदस्यों पर पिछले साल विधान परिषद के चुनाव में पार्टी व्हिप के खिलाफ मतदान करने को लेकर अध्यक्ष के आसन के समक्ष जाकर हंगामा करने लगे थे, जिसके कारण विधानसभा अध्यक्ष मोहम्मद अकबर लोन ने सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी। भारी हंगामे को देखते हुए लोन ने नाराजगी भी व्यक्त की और सदस्यों से कहा, "आप सदन को मछली बाजार बना रहे हैं।" कांग्रेस और भाजपा सदस्यों द्वारा प्रस्ताव के विरोध के कारण लोन ने इससे पहले भी सदन की कार्यवाही एक बार आधे घंटे और फिर एक घंटे के लिए दो बार स्थगित की थी। दोनों पार्टियां इसे सदन में पेश किए जाने के भी खिलाफ थीं। भाजपा ने सदन में 'राष्ट्र विरोधी प्रस्ताव वापस करो, वापस करो' के नारे लगाए। इस बीच, राशिद ने सभी दलों पर नाटक करने का आरोप लगाया और कहा कि चूंकि उनमें उनके प्रस्ताव का विरोध करने का हौसला नहीं है, इसलिए उन्होंने हंगामा कर सदन की कार्यवाही बाधित की और प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होनी दी। उन्होंने इसके लिए सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस (नेकां), भाजपा, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सभी को जिम्मेदार ठहराया। पीडीपी ने प्रस्ताव को समर्थन देने की घोषणा की थी। नेकां ने मंगलवार शाम इस पर बैठक बुलाई थी, जिसमें निर्णय लिया गया कि विधायक अपने विवेक से प्रस्ताव पर मतदान करेंगे।