गर्मी से निपटने के लिये ऐक्शन प्लान इकलौते अहमदाबाद में, लेकिन सिर्फ कागज़ पर

गर्मी से निपटने के लिये ऐक्शन प्लान इकलौते अहमदाबाद में, लेकिन सिर्फ कागज़ पर

अहमदाबाद:

अहमदाबाद महानगरपालिका के पास पिछले तीन साल से हीट ऐक्शन प्लान है, यानी गर्मीयों के दौरान लोगों को कैसे लू लगने से बचाया जा सके उसके लिए ऐक्शन प्लान। पूरे देश में अहमदाबाद इकलौता ऐसा शहर है जिसके पास ऐसा ऐक्शन प्लान है।

इस प्लान में अहमदाबाद महानगरपालिका ने इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ और अमेरिका की जॉर्जिया टेक युनिवर्सिटी के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत जॉर्जिया टेक युनिवर्सिटी रोज अहमदाबाद का अगले 7 दिनों का तापमान की संभावना बताती है और उसके मुताबिक अहमदाबाद महानगरपालिका शहर में अपनी तैयारी करता है।

इस प्लान के तहत तीन तरह के एलर्ट जारी किये जाते हैं। पहला है येलो एलर्ट - जब शहर का तापमान 40 से 43 डिग्री के बीच होनेवाला हो, ऑरेन्ज एलर्ट - जब शहर का तापमान 43 से 45 डिग्री के बीच होनेवाला हो, रेड एलर्ट - जब तापमान 45 डिग्री से और बढ़नेवाला हो।

जब ऑरेन्ज और रेड एलर्ट हो तब शहर में जगह-जगह पानी का इन्तजाम करना, लोगों के लिये गर्मियों में जगह-जगह होर्डिंग लगाना जिसमें गर्मी से कैसे निपटा जाय इसकी जानकारी हो, मसलन ज्यादा पानी पीना, छाछ पीना, दोपहर को बाहर न निकलना, बाहर निकलें तो हर थोड़ी देर पर छांव में खड़े रहना वगैरह। इसके अलावा अस्‍पतालों को भी खास सूचना दी जाती है कि हीट स्ट्रोक यानी लू लगने की वजह से कोई बिमार होकर आये तो उसकी किस तरह से देखभाल की जाय। जगह-जगह पानी के साथ-साथ ओआरएस के घोल उपलब्ध करवाना। इसी प्लान की वजह से अहमदाबाद महानगरपालिका को एक अवार्ड भी मिला है।

लेकिन जब शहर में इसकी पड़ताल की गई तो ये पूरी तैयारी सिर्फ कागज़ों में ही पाई गई। शहर के तीन दरवाजा जैसे बड़े बाज़ारों में गये तो पीने के पानी का कोई इन्त़जाम नहीं था, इन्तजाम था तो दुकानदारों ने अपने तौर पर किया था ताकि उनके ग्राहकों को गर्मी से परेशानी न हो। ज्यादातर होर्डिंग इतनी गर्मी में भी खाली मिले जिन पर कोइ जानकारी देनेवाले होर्डिंग नहीं थे। लोगों में भी इसकी जानकारी का पूरा अभाव दिखा।

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इससे लगता है कि पूरे देश में हीट वेव की वजह से सैकड़ों लोग मर रहे हैं तब इससे निपटने की योजना होने के बावजूद ठोस अमल न होने की वजह से अहमदाबाद महानगरपालिका देश में एक रोल मॉडल नहीं बन पा रही है जिसकी सख्त जरूरत है।