क्‍या कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन होगा? अखिलेश यादव ने दिया जवाब

क्‍या कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन होगा? अखिलेश यादव ने दिया जवाब

अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

खास बातें

  • कहा-इससे सबसे ज्‍यादा फायदा सपा को होगा
  • गठबंधन होने पर जीतेंगे 300 सीटें
  • कांग्रेस भी दिख रही उत्‍साहित

यूपी के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा और कांग्रेस के बीच संभावित गठजोड़ पर बुधवार को पहली बार तस्‍दीक करते हुए कहा कि इन दोनों पार्टियों के बीच संभावित गठबंधन के मसले पर चर्चा हो रही है. उन्‍होंने यह भी कहा कि दोनों पार्टियों के बड़े नेता एक-दूसरे के संपर्क में हैं और लोकसभा में इनके बीच इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई है. इस बयान के बाद एक बार फिर यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इन पार्टियों के बीच गठबंधन की संभावनाओं को बल मिला है. इसके साथ ही इसके जरिये नोटबंदी के इस दौर में अखिलेश ने बीजेपी और बीएसपी को भी सख्‍त संदेश दे दिया है.

वैसे अखिलेश इससे पहले भी यह कहते रहे हैं लेकिन एक बार फिर दोहराया, ''समाजवादी तो अपने बूते पर ही बहुमत की सरकार बनाने जा रहे हैं लेकिन यदि गठबंधन होता है तो 300 से भी ज्‍यादा सीटें (कुल 403 में से) जीतेंगे. हालांकि इस संबंध में निर्णय मुझको नहीं लेना है बल्कि राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मुलायम सिंह यादव को लेना है. गठबंधन होने की स्थिति में हम सबसे ज्‍यादा लाभान्वित होंगे.'' वैसे सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की स्थिति में मुकाबला दिलचस्‍प हो जाएगा.

सियासी गणित
दरअसल कांग्रेस को इस बात की संभावना दिख रही है कि नोटबंदी पर बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के आक्रामक रुख का पार्टी को यूपी चुनावों में फायदा मिल सकता है. इसलिए वह सपा के साथ गठबंधन के मोर्चे पर बातचीत कर रही है. इस तरह की मीडिया रिपोर्ट आ रही हैं कि कांग्रेस, गठबंधन होने की स्थिति में सपा से 60-70 सीटों पर सहमत हो सकती है. इसमें राज्‍य के मौजूदा 20 कांग्रेस विधायकों का टिकट भी शामिल है. एक दूसरी चर्चा में बंगाल फार्मूले की भी बात हो रही है. इसके त‍हत जिस तरह इस साल मई में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने धुर विरोधी माकपा के साथ मोटे तौर पर एक सहमति के आधार पर चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों के बीच कोई गठबंधन नहीं हुआ था. कांग्रेस इस तरह की सहमति पर भी राजी हो सकती है.         

कांग्रेस
उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस राज्‍य की सत्‍ता से पिछले 27 वर्षों से बाहर है और मौजूदा विधानसभा में संख्‍याबल के लिहाज से चौथे पायदान पर खड़ी है. इसलिए कांग्रेस फिर से अपनी स्थिति को राज्‍य में मजबूत करने की इच्‍छुक है. नोटबंदी के मसले पर भी सपा और कांग्रेस दोनों एक ही पाले में हैं.

सपा
दूसरी तरफ सपा, पारिवारिक घमासान, बीएसपी द्वारा अधिक संख्‍या में मुसलमानों को टिकट दिए जाने और सत्‍ता विरोधी लहर के मद्देनजर अपनी स्थिति को फिर से चाक-चौबंद करना चाहती है. इसलिए सपा नेतृत्‍व कह रहा है कि गठबंधन होने की स्थिति में वह लाभान्वित होंगे.  

वैसे दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के मसले पर सबसे पहले सुगबुगाहट तब शुरू हुई थी जब कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और बाद में अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. हालांकि उसके बाद सपा मुखिया ने एक प्रेस कांफ्रेंस में इस तरह की संभावनाओं को खारिज कर दिया था. लेकिन अब अखिलेश के बयान के बाद एक बार फिर गठबंधन को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है.


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