यह ख़बर 14 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल पर सर्वदलीय बैठक : मतभेद कायम

खास बातें

  • बैठक में सरकार ने शीत सत्र में ही बिल पास करने पर कोई वादा नहीं किया, और एनडीए के भी कुछ दल इस मुद्दे पर जल्दबाजी के खिलाफ दिखे।
New Delhi:

सरकार ने लोकपाल बिल पर सर्वदलीय बैठक तो बुलाई लेकिन बैठक में बिल के तमाम मुद्दों पर मतभेद कायम रहे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में भी सरकार की ओर से संसद के शीतकालीन सत्र में ही बिल पास करने पर कोई वादा नहीं किया गया। यूपीए के अलावा एनडीए के भी कुछ दल इस मुद्दे पर जल्दबाजी के खिलाफ दिखे। भाजपा की नेता सुषमा स्वराज ने जहां बिल को इसी सत्र में पेश करने की बात कही वहीं सरकार की ओर से कोई पक्का आश्वासन नहीं दिया गया। भाजपा ने ग्रुप सी को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की तो सीपीआई ने ग्रुप सी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की मांग की। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि लोकपाल विधेयक को दलगत राजनीति से अलग रखते हुए सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति से पारित किया जाना चाहिए। सर्वदलीय बैठक की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा, "मैं निजी तौर पर यह चाहता हूं कि लोकपाल विधेयक सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति से पारित हो। यह राजनीति करने का विषय नहीं होना चाहिए।" यह सर्वदलीय बैठक 3.30 घंटे तक चलने के बाद खत्म हो गई। बैठक में पीएम ने कहा, "यह मौका है जहां हमें राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखना है। सरकार चाहती है कि संसद के इसी सत्र में लोकपाल विधेयक को पारित करने के लिए हमें सभी प्रयास करने चाहिए, जो आम सहमति पर आधारित होना चाहिए।" पीएम ने बैठक में कहा कि 27 अगस्त को अन्ना को संसद द्वारा दिए गए आश्वासन का सम्मान होगा। गौरतलब है कि लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री, सीबीआई और ग्रुप सी तथा डी के कर्मचारियों को लाने को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इस मसले का हल निकालने के लिए प्रधानमंत्री के आवास पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इस बैठक में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के अलावा तमाम अन्य दलों के प्रमुख नेतागण पहुंचे। यह बैठक करीब 3.20 घंटों तक चली।बैठक में वाम नेता गुरुदास कामत ने कहा कि लोकपाल को संसद के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। इसी के साथ उनका कहना है कि पीएम को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाए। सीपीआई के नेता ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष समिति बननी चाहिए।उधर, लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में बीजेपी संसदीय दल की भी बैठक हुई, जिसके बाद पार्टी ने कहा कि वह आज सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री और ग्रुप सी तथा डी के कर्मचारियों को लोकपाल के अधीन लाने की बात जोर-शोर से रखेगी। बीजेपी की बैठक में यह भी फैसला हुआ कि अगर सरकार उसके प्रस्ताव को नहीं मानती है, तो वह दूसरे दलों से बात करके बिल में संशोधन का प्रस्ताव पेश करेगी। लोकपाल विधेयक 20 तारीख को लोकसभा में पेश किया जाएगा। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक कुछ शर्तों के साथ प्रधानमंत्री और ग्रुप सी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने पर यूपीए में सहमति बन गई है। लेकिन सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाने और सिटीजन चार्टर के बारे में कोई आम राय नहीं बन सकी। वैसे बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि अहम मुद्दों पर यूपीए में सहमति है। 


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