Click to Expand & Play
खास बातें
- दुर्गाशक्ति के समर्थकों की तादाद बढ़ रही है तो मामले पर राजनीति भी बढ़ती जा रही है। अब यह साबित करने की कोशिश तेज हो गई है कि अगर सूबे की यूपी सरकार ने फौरन एसडीएम का निलंबन ना किया होता तो कादलपुर में बड़े पैमाने पर दंगे हो गए होते।
गौतम बुद्ध नगर: दुर्गाशक्ति के समर्थकों की तादाद बढ़ रही है तो मामले पर राजनीति भी बढ़ती जा रही है। अब यह साबित करने की कोशिश तेज हो गई है कि अगर सूबे की यूपी सरकार ने फौरन एसडीएम का निलंबन ना किया होता तो कादलपुर में बड़े पैमाने पर दंगे हो गए होते।
इसी मुहिम के तहत, कलेक्टर दफ्तर के बाहर करीब 200 लोग इकट्ठा हुए और दुर्गाशक्ति का विरोध जताया, लेकिन इस भीड़ में खनन माफिया और नरेंद्र भाटी के समर्थक भी मौजूद थे।
कलेक्टर दफ्तर पहुंचे इन लोगों का दावा है कि वे कादलपुर की पीड़ित जनता है जिनकी मस्जिद की दीवार दुर्गाशक्ति नागपाल ने गिरवाई थी, लेकिन इस भीड़ में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और खनन माफिया तो शामिल ही थे, नरेंद्र भाटी के शुभचिंतक भी थे।
अब यह बात साबित करने की पुरजोर कोशिश हो रही है कि अगर नरेंद्र भाटी और समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं होती तो कादलपुर में बड़े पैमाने पर दंगे होते साथ ही धमकी भी दी जा रही है कि अगर दुर्गाशक्ति को बर्खास्त नहीं किया गया, तो दंगे भड़कने की गुंजाइश बनी रहेगी।
लेकिन, कैमरे के सामने अपनी करतूतों का खुद बखान कर चुके नरेंद्र भाटी और डीएम की जमीनी रिपोर्ट पहले ही साफ कर चुकी है कि जमीनी हालत क्या थी ऐसे में अखिलेश सरकार को अपने फैसले को सही साबित करने के लिए सिर्फ खुफिया रिपोर्ट का ही सहारा बचता है जिसकी सावर्जनिक तौर पर तस्दीक भी तकरीबन नामुमकिन होती है।