भारत में धार्मिक असहनशीलता बढ़ने संबंधी अमेरिकी रिपोर्ट को लेकर सरकार ने दिया यह जवाब..

भारत में धार्मिक असहनशीलता बढ़ने संबंधी अमेरिकी रिपोर्ट को लेकर सरकार ने दिया यह जवाब..

इस रिपोर्ट में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम है

नई दिल्ली:

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका की सरकारी संस्था की रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि हम इस रिपोर्ट का कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि अमेरिकी आयोग ने एक बार फिर यह दिखाया है कि उसे भारत, भारतीय संविधान और समाज की समझ नहीं है।

बयान में कहा गया है कि भारत एक बहुलतावादी समाज है जो मजबूत लोकतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित है। भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यह अधिकार नागरिकों का मौलिक अधिकार भी है। विदेश मंत्रालय के बयान में अमेरिकी आयोग USCIRF की भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाने पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया है।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी है
अमेरिकी रिपोर्ट में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी है, जिसमें कहा गया है कि धर्मांतरण के विरोध में कानून बनाने की मांग करने वालों के चैंपियन अमित शाह रहे हैं। इस आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग की आड़ में ईसाइयों को परेशान किया जाता है।

बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ और साक्षी महाराज का नाम है
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल, भारत में धार्मिक सहिष्णुता में कमी आई है और जिन लोगों या समूहों ने अल्पसंख्यकों को डराने का काम किया या उनपर हमला किया, उन्हें बीजेपी के सदस्यों का 'अनकहा' समर्थन रहा है। इस रिपोर्ट में बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ और साक्षी महाराज का नाम है जिन्हें मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयान देने वाला नेता बताया गया है।

मध्य प्रदेश के मुद्दे का जिक्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल मई में मध्य प्रदेश में ईसाइयों की एक बैठक जिसे अधिकारियों ने इजाजत दी थी, उसे बाद में, समाज के सदस्यों का आरोप है कि आरएसएस के कहने पर रद्द कर दिया गया था। भारत ने साफ किया है कि उसे धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दे पर अमेरिकी एजेंसी से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।

बता दें कि इस एजेंसी के सदस्यों को मार्च में भारत में आने के लिए वीजा नहीं दिया गया था। तब भारत सरकार की ओर से कहा गया था कि देश में इस प्रकार की परख करने वाली किसी संस्था की जरूरत नहीं है।


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