नगदी संकट के बीच चुनावी तैयारियों में जुटे उत्तरप्रदेश में '5 हज़ार करोड़' रु कैश कैसे पहुंचा

नगदी संकट के बीच चुनावी तैयारियों में जुटे उत्तरप्रदेश में '5 हज़ार करोड़' रु कैश कैसे पहुंचा

प्रतीकात्मक तस्वीर

खास बातें

  • यूपी में '5 हज़ार करोड़' रु नकदी पहुंचाए जाने की खबर है
  • आरोप है कि यूपी में होने वाले चुनाव के मद्देनज़र इतनी नगदी की आमद हुई
  • बीजेपी का कहना है कि नगदी भेजने में किसी तरह का पक्षपात नहीं हो रहा है
गोरखपुर:

पूर्वी उत्तरप्रदेश के बांसगांव में बीजेपी सांसद कमलेश पासवान एटीएम की लाइन में पहुंचते हैं. उनके समर्थकों का कहना है कि यहां पिछले दिनों नोटों की किल्लत कम हुई है क्योंकि नई नगदी आई है. एक बीजेपी कार्यकर्ता का कहना है कि दो दिन पहले 1650 करोड़ रुपये जिले में आए थे और अब बैंक ने पैसे निकालने की सीमा 50 हज़ार रुपये तक कर दी है. इस क्षेत्र के बाकी हिस्से से भी हमें नई करेंसी के आने से जुड़ी ऐसी ही खबरें सुनने को मिलीं.

जब हमने इस दावे की पुष्टि करने के लिए बीजेपी नेताओं से पूछा तो उन्होंने पिछले दिनों स्थानीय अखबारों में छपी खबरों का हवाला दिया. संयोग से यह उन्हीं दिनों की बात है जब पीएम मोदी ने यूपी में चुनावी अभियान छेड़ रखा था. हालांकि इससे जुड़ी एक मात्र मीडिया रिपोर्ट 17 दिसंबर की है जो कि समाचार एजेंसी IANS द्वारा प्रकाशित है जिसके मुताबिक यूपी में 5 हज़ार करोड़ रुपये, एक विशेष प्लेन द्वारा आरबीआई ने भेजे हैं. उन्होंने कहा कि यह सूचना एक अधिकारी से मिली है जिसका नाम नहीं बताया जा सकता.

जब NDTV ने आरबीआई से संपर्क किया तो उनके प्रवक्ता ने सफाई दी कि बैंक यह जानकारी देता ही नहीं है कि कौन से राज्य में कितनी नगदी पहुंचाई जा रही है. इसके बावजूद स्थानीय बीजेपी सांसद इस बात की तरफ इशारा करते रहे कि आरबीआई पर राजनीतिक दबाव तो बनाया जा रहा है. यूपी के फैज़ाबाद से बीजेपी सांसद लल्लू सिंह कहते हैं 'हमारी पार्टी के अध्यक्ष (अमित शाह) हमसे मिले और उन्होंने सभी सांसदों से फीडबैक लिया है.' सिंह कहते हैं कि उन्होंने पार्टी नेता से निवेदन किया था कि ज्यादा नगदी भेजकर लोगों की समस्याएं दूर करें.

सिंह ने कहा 'हमने अमित शाह से कहा था कि आरबीआई से पैसा ट्रांसफर करने की प्रक्रिया थोड़ी और तेज़ होनी चाहिए ताकि लोगों को ज्यादा दिक्कत पेश न आए. उन्होंने कहा था कि उससे जुड़े सभी तैयारियां कर ली गई है और पैसा भेज दिया जाएगा.' हालांकि ज़मीनी स्तर पर मामला कुछ और ही नज़र आता है. गोरखपुर से दो घंटे की दूरी पर कौडिया गांव है जहां एसबीआई के बाहर महिलाएं लाइन में लगी हुई हैं, सुबह 4 बजे से. हम उनसे आठ घंटे बाद दोपहर में मिलते हैं, वे अब भी वहीं खड़ी हैं. उनमें से एक का दावा है कि बैंक स्टाफ ने उनके साथ बदसलूकी की है. एक महिला कहती है 'कल मैनेजर ने मुझे धक्का दिया और मेरा गला पकड़ लिया.' वहीं कुछ और लोगों का कहना है कि पिछले दो दिनों में हालात थोड़े सुधरे हैं लेकिन अभी भी पूरी नगदी नहीं मिल पा रही है.

थोड़ी देर बाद कैश का एक बक्सा बैंक की शाखा पर पहुंचता है. लेकिन यह साफ नहीं हो पाता है कि क्या नगदी की इस आमद की वजह अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव है. हालांकि जनता को इस बात से फर्क नहीं पड़ता, वह तो बस अपने हिस्से की नगदी जल्द से जल्द अपने हाथों में देखना चाहते हैं. स्थानीय बीजेपी नेताओं का कहना है कि चुनाव की वजह से पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाना गलत है. बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान का कहना है कि 'अगर गोरखपुर के लिए नगदी आई है तो जाहिर है यह पूरे देश में भी पहुंचेगी.'


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