यह ख़बर 03 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

न्यायालय ने सामाजिक मुद्दों पर विचार के लिए 'सामाजिक न्याय पीठ' गठित की

नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने सामाजिक मुद्दों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और उपेक्षित वर्ग, से सबंधित मसलों की सुनवाई के लिए बुधवार को विशेष 'सामाजिक न्याय पीठ' गठित की। न्यायालय ने कहा कि इन मसलों पर विचार के लिए विशेष दक्षता वाले दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

न्यायपालिका के लिए ऐसे मामलों के शीघ्र निबटारा करने और संविधान में प्रदत्त अधिकारों का लाभ जनता को मुहैया कराने की आवश्यता है। न्यायालय ने कहा कि विशेष पीठ 12 दिसंबर से हर शुक्रवार को अपराह्न 2 बजे बैठेगी।

न्यायालय ने कहा, 'सामाजिक न्याय के दायरे में आने वाले अनेक मामले कई सालों से शीर्ष अदालत में लंबित हैं। प्रधान न्यायाधीश का मत है कि ऐसे मामलों के यथाशीघ्र निबटारे के लिए विशेष दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि जनता को संविधान की पुस्तक में प्रदत्त अधिकारों का लाभ मिल सके।'

न्यायालय की विज्ञप्ति के अनुसार इसी संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश ने ऐसे मामलों के निबटारे के लिए विशेष रूप से सामाजिक न्याय पीठ गठित करने का आदेश दिया है। सामाजिक न्याय पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति उदय ललित को शामिल किया गया है।

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सामाजिक न्याय से संबंधित मामलों के दायरे में भंडार में पड़ा अतिरिक्त खाद्यान्न, सूखा प्रभावित इलाकों में रहने वालों के इस्तेमाल के लिए मुहैया कराना, खाद्यान्न के सार्वजनिक वितरण के लिए नई योजना तैया करना, पौश्टिक आहार के अभाव में महिलाओं और बच्चों की असमय मृत्यु की रोकथाम के उपाय, रैन बसेरों की व्यवस्था और सभी नागरिकों के लिए चिकित्सा सुविधा, पेय जल और जबरन देह व्यापार में ढकेले गए वर्ग को रहने योग्य माहौल उपलब्ध कराना शामिल है।