यह ख़बर 14 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सेवकों को जनता की ताकत का एहसास नहीं : अन्ना

खास बातें

  • गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके खिलाफ लगातार की जा रही बयानबाजी पर मंगलवार को पलटवार किया।
नई दिल्ली:

गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके खिलाफ लगातार की जा रही बयानबाजी पर मंगलवार को पलटवार किया और लगे हाथ उसे आगाह भी किया जनता देश की मालिक है और आज के सेवकों (सरकार) को जनता की ताकत का एहसास नहीं है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने सोमवार को सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को 'गैर निर्वाचित तानाशाह' करार दिया था। इसके जवाब में अन्ना हजारे ने कहा कि जनता देश की मालिक है और उसे अपने सेवकों से उनके कामकाज को लेकर सवाल करने का अधिकार है। अन्ना हजारे ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि संसद के महत्व को नकारा नहीं जा सकता लेकिन वहां निर्णय लेने से पहले लोगों से विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "संसद बहुत बड़ी चीज है लेकिन केंद्र की संसद से ज्यादा बड़ी राज्य विधानसभाएं हैं और उनसे भी बड़ी गांवों की पंचायतें हैं। उन्हें इस बात का एहसास नहीं है।" केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कोलकाता में कहा था कि सामाजिक संगठनों के सदस्यों को संसद को यह बताने का अधिकार नहीं है कि वह भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल विधेयक कब पारित करें। अन्ना हजारे मुखर्जी की इसी टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। इससे पहले उन्होंने लोकपाल विधेयक पारित न होने की स्थिति में 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा, "26 जनवरी 1950 को जनता देश की मालिक बन गई थी.. यदि सेवक कुछ गलत करते हैं तो मालिक को उनसे सवाल करने का अधिकार है। वे राष्ट्र की भलाई के लिए जो भी निर्णय लें उससे पहले उन्हें जनता के विचार भी जानने चाहिए।" भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुखौटा होने के आरोपों के सम्बंध में पूछे जाने पर अन्ना हजारे ने किसी भी पार्टी का पक्ष लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, "मैंने कभी भी किसी पक्षपातपूर्ण पार्टी का समर्थन नहीं किया है। इनमें से कुछ पार्टियां भ्रष्टाचार में स्नातक हैं तो कुछ ने उसमें पीएचडी किया है। उनमें बस यही फर्क है।" कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने सोमवार को सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं पर हमला करते हुए कहा था, "यदि लोकतंत्र को किसी से खतरा है तो ऐसे गैर निर्वाचित तानाशाहों से है।"


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