यह ख़बर 29 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'लोकपाल बिल जनता से धोखा, 16 से अनशन'

खास बातें

  • अन्ना ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि अब हमारे और सरकार के बीच बातचीत का कोई सवाल ही नहीं उठता।
मुंबई:

लोकपाल विधेयक के सरकारी ड्राफ्ट को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने को समाजसेवी अन्ना हजारे ने देश की जनता के साथ धोखा बताते हुए 16 अगस्त से इसके खिलाफ अनशन करने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के रालेगांवसिद्दी में अन्ना ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि अब हमारे और सरकार के बीच बातचीत का कोई सवाल ही नहीं उठता, जब तक सरकार प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में नहीं लाती। अन्ना ने यह भी कहा है कि अब सरकार से आर−पार की लड़ाई होगी, क्योंकि देश-भर में हमें मिले समर्थन से साफ है कि लोग अब भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए लोकपाल बिल में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है, हालांकि पद छोड़ने के अगले दिन से ही पीएम के लिए यह छूट खत्म हो जाएगी। अन्ना का कहना है कि दोनों को ही लोकपाल में शामिल करना चाहिए था। संसद के मॉनसून सत्र में पेश किए जाने के लिए मंजूर किए गए बिल के मुताबिक लोकपाल में चेयरमैन के अलावा आठ और सदस्य होंगे, जिनमें चार अनुभवी जज शामिल होंगे। लोकपाल का चुनाव एक कमेटी करेगी, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे, तथा कमेटी में लोकसभा स्पीकर, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, एक कैबिनेट मंत्री, एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाईकोर्ट के जज के अलावा एक मशहूर हस्ती भी शामिल होगी। इसके अलावा लोकपाल को किसी के खिलाफ आरोप लगाने, जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए किसी से इजाजत की जरूरत नहीं होगी। इसके साथ ही लोकपाल जांच के लिए केंद्र के किसी भी अधिकारी से डेपुटेशन पर सेवाएं ले सकेगा। इस मुद्दे पर अन्ना की साथी कार्यकर्ता किरण बेदी ने बताया, यह देश के साथ छल है। उन्होंने कहा कि यह मसौदा विधेयक अगर एक बार पारित हो जाता है तो इससे उन अन्य राज्यों पर भी असर पड़ेगा, जिनकी लोकायुक्त का गठन करने की योजना है। ऐसे राज्य अब मुख्यमंत्री पद को लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के दूरगामी परिणाम होंगे। किरण ने कहा कि सरकार ने सुनहरा मौका खो दिया है। कर्नाटक के लोकायुक्त और संयुक्त मसौदा समिति के सदस्य न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने कहा कि इस विधेयक में उन प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया है, जिनकी समाज के सदस्य मांग कर रहे थे। हेगड़े ने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह काफी मजबूत विधेयक होगा। 44 वर्ष से लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ और अब वे ऐसा विधेयक पारित कराना चाहते हैं, जो बिल्कुल भी मजबूत नहीं होगा। हजारे ने बृहस्पतिवार को ही सरकार से अपील की थी कि उसके पास देश का इतिहास बदलने का दुर्लभ मौका है और उसे मजबूत विधेयक संसद में पेश करना चाहिए। इससे पहले, मसौदा समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण ने वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर उनसे अपील की थी कि कैबिनेट के समक्ष लोकपाल मसौदा विधेयक के दोनों संस्करण पेश किए जाएं।(इनपुट एजेंसियों से भी)


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