खास बातें
- लम्बे समय तक चले गतिरोध के बाद सशस्त्र बलों ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को उसकी ओर से संचालित कैंटीन के खातों को देखने के लिए सीमित पहुंच प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है जिसका सालाना कारोबार 8,500 करोड़ रुपये है।
नई दिल्ली: लम्बे समय तक चले गतिरोध के बाद सशस्त्र बलों ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को उसकी ओर से संचालित कैंटीन के खातों को देखने के लिए सीमित पहुंच प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है जिसका सालाना कारोबार 8,500 करोड़ रुपये है।
सेना के तीनों अंग अब तक सैन्यकर्मियों को रियायती दर पर उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री करने वाली कैंटीन के खातों के सम्बंध में कैग को जानकारी मुहैया कराने से इनकार करते रहे हैं। इनका दावा रहा है कि ये गैर सार्वजनिक कोष के तहत संचालित हैं।
रक्षा मंत्रालय के सू़त्रों ने बताया कि सेना के तीनों अंगों ने कैग को खातों की जांच परख के लिए सीमित पहुंच प्रदान करने पर सहमति व्यक्त कर दी है जो भारत के संचित निधि के धन के उपयोग से संचालित की जाती हैं।
बहरहाल, उन्होंने कहा कि लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कैग को ऑडिट के लिए खातों का कौन सा हिस्सा उपलब्ध कराया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय के निर्देश के बावजूद खातों के बारे में जानकारी नहीं उपलब्ध कराने के लिए सशस्त्र बलों को लोक लेखा समिति (पीएसी) की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है।