यह ख़बर 06 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह पर आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल की बेहद कड़ी टिप्पणी

पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह (फाइल तस्वीर)

नई दिल्ली:

पूर्व थलसेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को लगभग दोषी ठहराते हुए सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल) ने लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ का कोर्ट मार्शल रद्द कर दिया। लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ को पश्चिम बंगाल में एक जमीन सौदे में कथित भूमिका की खातिर सजा दी गई थी।

ट्रिब्यूनल ने कहा कि जनरल वीके सिंह ने नियम का उल्लंघन करते हुए मिलिट्री कोर्ट को अपने हिसाब से प्रभावित किया, साथ ही कहा कि उन्होंने बदले की भावना से सीनियर अफसरों की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।

पीके रथ ने एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए कि आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल का शुक्रगजार हूं कि आखिरकार सच्चाई सामने आ गई। मैं इस फैसले से खुश हूं।

रथ ने कहा कि सुकना घोटाला कहना गलत है, क्योंकि कोई घोटाला हुआ ही नहीं था, बल्कि इसे गलत तरीके से पेश किया गया। इस केस से मेरे सम्मान को ठेस पहुंची, इसके पीछे उद्देश्य क्या था, यह पता नहीं, लेकिन मेरे 40 साल के सम्मान को ठेस पहुंची और इसकी भरपाई नहीं हो सकती। रथ ने कहा कि मौजूदा आर्मी एक्ट आजादी से पहले का है और इसमें बदलाव की जरूरत है।

साल 2011 में एक कोर्ट मार्शल ने कथित घोटाले में रथ को दोषी करार दिया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के सुकना में सैन्य छावनी से सटे 70 एकड़ के एक जमीन के टुकड़े पर एक शैक्षणिक संस्थान बनाने के लिए एक निजी बिल्डर को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किया था।

यह जमीन सौदा साल 2008 के मध्य में तब सामने आया, जब पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह पूर्वी थलसेना कमांडर थे और उन्होंने कथित जमीन घोटाले में कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी शुरू की थी।

न्यायाधिकरण ने इस मामले में रथ की 'प्रताड़ना और उनके सम्मान को हुए नुकसान' के लिए थलसेना पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इस मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद रथ तीन सितारा रैंक वाले ऐसे पहले अधिकारी बन गए थे, जिनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी।

न्यायमूर्ति सुनील हाली की अध्यक्षता वाली न्यायाधिकरण की एक पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता को सभी आरोपों से बरी किया जाता है। वह 12 फीसदी ब्याज के साथ सभी लाभ की बहाली के हकदार हैं। न्यायाधिकरण ने रथ की याचिका को मंजूरी दी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जनरल वीके सिंह ने मामले को अनुचित महत्व दिया था, क्योंकि उन्हें तत्कालीन सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश के खिलाफ 'गंभीर खुन्नस' थी।

वीके सिंह ने प्रकाश को अपने जन्म-तिथि के मुद्दे पर प्रतिबद्धता के लिए जिम्मेदार ठहराया था। जन्म-तिथि विवाद के कारण ही थलसेनाध्यक्ष के पद पर वीके सिंह को सेवा विस्तार नहीं मिल सका था। न्यायाधिकरण ने कहा कि इस मामले के कुछ गवाहों को चूक के लिए दोषी पाया गया है, पर थलसेना ने उन्हें मामूली सजाएं दी हैं।

न्यायाधिकरण ने कहा, तथ्य यह है कि उनमें से कुछ को तो थलसेनाध्यक्ष के तौर पर तरक्की दे दी गई। उनकी सजाएं दरकिनार करने के बाद जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा उनके बयान दर्ज करने के बाद ऐसा किया गया।

(इनपुट भाषा से भी)


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