आरएसपुरा की बीएसएफ किचन का जायजा : मेन्यू में पनीर-दाल, किसी जवान को कोई शिकायत नहीं

आरएसपुरा की बीएसएफ किचन का जायजा : मेन्यू में पनीर-दाल, किसी जवान को कोई शिकायत नहीं

आरएसपुरा में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के नजदीक मेस में मछली, पनीर, दाल और रोटी मिलती है

खास बातें

  • सीमा सुरक्षा बल की एक विशेष कमेटी ने राशन स्टोर का जायजा लिया
  • ताजी सब्जियां और फल सप्ताह में तीन बार खरीदे जाते हैं
  • भोजन को खरीदते समय गुणवत्ता पर बहुत ज्यादा ध्यान
जम्मू:

सीमा सुरक्षा बल की एक विशेष कमेटी ने जम्मू हेडक्वार्टर के राशन स्टोर का जायजा लिया. कमेटी में रसोइए से लेकर कमांडेंट तक, कनिष्ठ अधिकारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.   
 
डिप्टी कमांडेट अकरम खान ने बताया, "कमेटी के सभी सदस्यों नजदीकी बाजार में जाते हैं." वे सब्जियां खरीदने से पहले सर्वे करते हैं और इसमें हर कोई शामिल होता है. सब्जी खरीदने के बाद अन्य कमेटी उसकी पुन: जांच करती है".

मुख्यालय में राशन स्टोर से कच्ची सामग्री को आगे के स्थानों पर भेजा जाता है. सूखा राशन मासिक आधार पर आगे के स्थानों पर वाहनों से भेजा जाता है. ताजी सब्जियां और फल सप्ताह में तीन बार खरीदे जाते हैं.  

बीएसएस का कहना है कि इसलिए भोजन को खरीदते और वितरित करते समय उसकी गुणवत्ता को लेकर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है. जवानों की जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है.

यह स्पष्टीकरण सेना के जवान तेज बहादुर द्वारा सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करने के बाद आया. वीडियो में तेज बहादुर ने खराब भोजन की शिकायत की थी जिसके बाद गृह मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए थे. हालांकि मंत्रालय ने दावा किया था कि उसके दावे सही नहीं है. अधिकारी ने कहा, "सीमा वाली चौकियों पर, बीएसएस किचन में भोजन पकाया जाता है." आरएसपुरा में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के नजदीक मेस में मछली, पनीर, दाल और रोटी मिलती है.  

प्रत्येक जवान को कम से कम 3000 कैलोरी की मिलनी चाहिए. जो जवान ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात उन्हें प्रतिदिन 3600 कैलोरी की जरूरत होती है. यही वजह है कि ऊंचाई वाले चौकियों पर, सूखे मेवे, फल, शहद, चॉकलेट और डिब्बाबंद भोजन का प्रावधान किया जाता है.

आरएसपुरा सेक्टर में तैनात कनिष्ठ अधिकारी आरएस यादव ने बताया, "भोजन की गुणवत्ता अच्छी है. यह मेन्यू कमांडेंट द्वारा बनाया जाता है....हम उसका पालन करते हैं. मेन्यू में दिया गया ही भोजन पकाया गया है."

अधिकांश जवानों को भोजन की गुणवत्ता को लेकर कोई शिकायत नहीं है लेकिन अपवाद से नकारा नहीं जा सकता. कुछ जवानों ने बताया कि चूंकि भोजन को वाहनबंद हथियारों से जीरो लाइन पर ले जाया जाता है, इसलिए उसमें होने वाली देरी से इनकार नहीं किया जा सकता.

जवान सतिंदर कुमार यादव ने बताया, "कई जगहों पर राशन ले जाने की दिक्कत होती है, विशेष तौर पर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में. हो सकता है कि तेजबहादुर को खराब भोजन मिला हो और वह सही कह रहा हो."


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