यह ख़बर 14 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल के पेश न हो पाने के बाद केजरीवाल ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश करने की अपनी कोशिशों में विफल होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पद से इस्तीफा दे दिया है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हुनमान रोड स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपने इस्तीफे का ऐलान किया।

उन्होंने कहा, 'हमारा सबसे बड़ा मुद्दा था कि जनलोकपाल बिल पास कराना है। कांग्रेस ने लिखकर दिया था कि हम जनलोकपाल बिल का समर्थन करेंगे। लेकिन, जब हमने पास कराना चाहा तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों मिल गए। इसलिए हमारी सरकार इस्तीफा देती है।'

इस पहले राज्य विधानसभा में जनलोकपाल विधेयक पेश होने के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस के मतदान के बाद अरविंद केजरीवाल ने इस बात के पर्याप्त संकेत दे दिए थे कि उनकी सरकार इस्तीफा दे सकती है। जनलोकपाल विधेयक पेश होने के खिलाफ मतदान के बाद विधानसभा में अपने संक्षिप्त भाषण में मुख्यमंत्री ने कहा था, 'यह हमारा अंतिम सत्र लगता है। अगर मुझे भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री के पद को 1,000 बार भी कुर्बान करना पड़े और जान भी देनी पड़े, तो मैं खुद को भाग्यशाली मानूंगा।'

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विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद केजरीवाल ने राज्य सचिवालय में अपने कैबिनेट की बैठक की। इस बैठक के बाद वह पार्टी दफ्तर के लिए रवाना हुए और वहां पार्टी समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं के बीच अपनी सरकार के इस्तीफे का ऐलान कर दिया।

इससे पहले दिल्ली विधानसभा में भारी हंगामे के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल प्रस्तुत कर दिया था, परंतु इसके बाद भाजपा और कांग्रेस ने इस पर चर्चा नहीं होने दी और मांग की कि इसे पेश हुआ न माना जाए। इस मुद्दे पर अंतत: स्पीकर को वोटिंग करानी पड़ी और 70-सदस्यीय विधानसभा में भाजपा तथा कांग्रेस समेत 42 विधायकों ने बिल के विरोध में वोट किया और सरकार का प्रस्ताव गिर गया। 27 विधायकों ने जन लोकपाल विधेयक को पेश किए जाने का समर्थन किया। अब यह बिल पेश हुआ नहीं माना जाएगा।

संवैधानिक प्रक्रिया अपनाए बिना विधेयक नहीं पेश करने की विधानसभा को दी गई उपराज्यपाल की सलाह पर मतदान की विपक्ष की मांगों के चलते हंगामे की स्थिति के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उठकर कहा कि वह विधेयक पेश कर रहे हैं।

सदन में विपक्षी दल भाजपा और सरकार को बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस के दबाव के बाद स्पीकर ने उपराज्यपाल की वह चिट्ठी पढ़कर सदन को सुनाई, जिसमें इस बिल को पेश न करने की सलाह दी गई थी।

इसके बाद विपक्ष उपराज्यपाल की चिट्ठी को लेकर वोटिंग की मांग करता रहा, जबकि दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर चर्चा कराने को लेकर बार-बार आग्रह करती नजर आई। हालांकि बाद में स्पीकर ने मुख्यमंत्री से बिल पेश करने को कहा और इस पर चर्चा कराने की अनुमति दे दी। इस पर विपक्ष ने कड़ा ऐतराज जताया और स्पीकर पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। कांग्रेस के एक विधायक ने स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात भी कही है। हंगामा बढ़ता देख सदन की कार्यवाही दोबारा स्थगित करनी पड़ी।

इससे पूर्व, सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने यह भी मांग की थी कि पहले कानून मंत्री सोमनाथ भारती के मुद्दे पर चर्चा की जाए। हंगामे के मद्देनजर स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर सर्वदलीय बैठक बुलाई।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने सदन में कहा कि हम बिल का समर्थन करने को तैयार हैं, यदि वह संविधान के अनुरूप लाया जाए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को बालहठ छोड़नी चाहिए।

वहीं विपक्ष के नेता हर्षवर्धन ने कहा कि केजरीवाल देश में झूठ न फैलाएं। हमने कभी भी जनलोकपाल का विरोध नहीं किया। इसका समर्थन करने और इसे लागू करने में भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे रही है।

दरअसल, जनलोकपाल बिल को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने हैं। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने भी साफ कर दिया है कि गृह मंत्रालय की मंजूरी के बगैर इस बिल को विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता।

आम आदमी पार्टी को समर्थन दे रही कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि वे संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं करेंगे।

केजरीवाल ने कहा था कि 'आप' सरकार मौजूदा सत्र का विस्तार 16 फरवरी से आगे करने को तैयार है और विधेयक का पारित होना सुनिश्चित करेगी, लेकिन इसके पारित नहीं होने की स्थिति में उनके पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।

केजरीवाल ने गुरुवार को कहा था, हम सत्र में विस्तार के लिए तैयार हैं। हम यहां सरकार बचाने के लिए नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम जनलोकपाल विधेयक और स्वराज विधेयक के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा भारत से भ्रष्टाचार हटाने के लिए मैं मुख्यमंत्री पद 100 बार कुर्बान करने के लिए तैयार हूं।

उन्होंने आरोप लगाया कि कानून मंत्री सोमनाथ भारती के इस्तीफे के मुद्दे पर सदन का कामकाज नहीं चलने देने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है। केजरीवाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भारत के इतिहास में किसी विधानसभा में ऐसा हुआ होगा कि भाजपा और कांग्रेस एकजुट हो गई हो। इन्होंने खुद को बेनकाब कर दिया है।