यह ख़बर 07 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बाल ठाकरे का हमला : बोले, हिम्मत उधार ले जाएं लालकृष्ण आडवाणी

खास बातें

  • उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 का पहला लक्ष्य कांग्रेस को हटाना है, लेकिन अगर 'सेनापति' ही कहने लगे कि जीत के मौके नहीं हैं, तो एनडीए के बाकी घटकों का क्या होगा।
मुंबई:

वर्ष 2014 के चुनाव को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकष्ण आडवाणी के ब्लॉग से नाराज़ शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन पर तीखा हमला बोला, और कहा कि अगर आडवाणी में हिम्मत और जिगर नहीं है तो वह 'मातोश्री' आकर उधार ले जाएं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 का पहला लक्ष्य कांग्रेस को हटाना है, लेकिन अगर 'सेनापति' ही कहने लगे कि जीत के मौके नहीं हैं, तो एनडीए के बाकी घटकों का क्या होगा। बाल ठाकरे ने यह भी कहा है कि कांग्रेस सीबीआई की मदद से दूसरे दलों का समर्थन जुटाती रही है। अगर आडवाणी यह जानते हैं तो यह काम करने में क्यों डरते हैं।

ठाकरे की सलाह है कि दिल्ली के तख्त को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का झगड़ा बाद की बात है, और पहली चुनौती कांग्रेस को दूर रखने की है। बाल ठाकरे ने लिखा है कि ब्लॉग बेकार की चीज़ है, क्योंकि राजनीति मैदान में आकर की जाती है, चटाई बिछाकर नहीं।

बाल ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में यह लेख लिखा है, जिसका शीर्षक है 'दोस्त, हिम्मत मत हार'। ठाकरे का कहना है कि आडवाणी का बयान सिर्फ बीजेपी से नहीं जुड़ा है, बात एनडीए की है, इसलिए हम इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आडवाणी के बयान से बीजेपी की हालिया टीम हताश और निराश हुई होगी। ब्लॉग बेकार की चीज़ है। अभी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करना प्राथमिकता होनी चाहिए।

उनका कहना है कि एनडीए का सेनापति ही कहने लगे कि 2014 में चांस नहीं तो बाकी घटक दल किसका मुंह ताकते रहेंगे। अभी भविष्यवाणी का मतलब नहीं है। बाल ठाकरे ने लिखा कि कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए शिवसेना, अकाली दल और जेडीयू एनडीए के साथ हैं। इसके अलावा उनका कहना है कि दूसरों को भी इस कवायद में जोड़ेंगे। उनका अनुमान है कि पवार, ममता, नवीन पटनायक और डीएमके भी जुड़ेंगे।

बता दें कि बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के ब्लॉग को लेकर बीजेपी के अंदर बेचैनी है। आडवाणी ने लिखा है कि 2014 में गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी शख्स प्रधानमंत्री बनेगा। इस सरकार को बीजेपी या कांग्रेस बाहर से समर्थन दे सकते हैं। यानि बीजेपी अपने दम पर नहीं जीत सकती। बीजेपी के नेता भले ही दबी ज़ुबान से इससे सहमत न हों, लेकिन आडवाणी अपनी बात पर कायम हैं।

उनका कहना है कि उन्होंने अपने ब्लॉग में जो कुछ लिखा है, उस पर वह कायम हैं। बीजेपी के भीतर इस बयान को लेकर हलचल मची हुई है। आडवाणी के बयान से बीजेपी और नरेंद्र मोदी, दोनों की दावेदारी पर सवाल उठते हैं। यह बात एनडीए के भीतर नीतीश कुमार के पक्ष में जाती दिख रही है, लेकिन शरद यादव ही आडवाणी की राय से सहमत नहीं दिखते।

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उधर कांग्रेस आडवाणी के इस दावे की खिल्ली उड़ा रही है कि उसे 100 से कम सीटें मिलेंगी, लेकिन बीजेपी के सामने सवाल अब डैमेज कंट्रोल का है। पार्टी को लग रहा है, यह काम समय के साथ होगा।