NDTV इंडिया पर प्रतिबंध की राहुल गांधी, ममता बनर्जी ने की कड़ी आलोचना

NDTV इंडिया पर प्रतिबंध की राहुल गांधी, ममता बनर्जी ने की कड़ी आलोचना

हिन्दी समाचार चैनल NDTV इंडिया पर केंद्र सरकार के पैनल द्वारा एक दिन का प्रतिबंध लगाने के फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है, और इसे मीडिया की स्वतंत्रता का हनन बताया जा रहा है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस प्रतिबंध के आदेश को स्तब्ध करने वाला और अभूतपूर्व बताया है, वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि इस फैसले से इस बात की तसदीक होती है कि देश में 'आपातकाल जैसे हालात' हैं.

जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी NDTV इंडिया पर एक दिन का प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि 'क्या यही वे अच्छे दिन हैं,' जिनका वादा किया गया था.
 


उमर अब्दुल्ला ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा, "NDTV इंडिया का प्रसारण रोकने का आदेश... दिवंगत पूर्व सैनिक के परिवार के प्रति संवेदनाएं जताने के इच्छुक विपक्ष के नेताओं को हिरासत में लेना... अच्छे दिन... कोई है...?"

उधर, कोलकाता में जारी एक बयान में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा, "NDTV पर प्रतिबंध स्तब्ध कर देने वाला है... पठानकोट घटना की कवरेज को लेकर अगर सरकार को कोई आपत्ति थी, तो इसके लिए नियम-कायदे मौजूद हैं, लेकिन प्रतिबंध आपातकाल जैसी स्थिति की गवाही देता है..."

दरअसल, अंतर-मंत्रालयी पैनल गुरुवार को इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि जब भारतीय वायुसेना के शिविर पर आतंकी हमला हो रहा था, तब 'NDTV इंडिया' चैनल ने महत्वपूर्ण और 'रणनीतिक रूप से संवदेनशील' सूचनाओं को प्रसारित कर दिया था.

केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि "भारत भर में किसी भी मंच के ज़रिये NDTV इंडिया के एक दिन के प्रसारण या पुन: प्रसारण पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं... यह आदेश 9 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट से 10 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट तक प्रभावी रहेगा..."

आतंकी हमलों के कवरेज को लेकर किसी भी चैनल के खिलाफ दिया गया यह इस तरह का पहला आदेश है. इस बाबत नियम पिछले साल अधिसूचित किए गए थे.

अपने जवाब में चैनल ने कहा है कि यह 'किसी बात को अपने-अपने नज़रिये से देखने' का मामला है, और जो सूचनाएं हमने प्रसारित की हैं, वह पहले से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के ज़रिये जनता के सामने थीं.

(इनपुट एजेंसियों से भी)

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