जेब खाली करने को हो जाइए तैयार, रेलवे जारी कर सकती है 'सब्सिडीमुक्त' टिकट!

जेब खाली करने को हो जाइए तैयार, रेलवे जारी कर सकती है 'सब्सिडीमुक्त' टिकट!

प्रतीकात्मक तस्वीर

खास बातें

  • रेलवे टिकट पर सब्सिडी छोड़ने की हो सकती है अपील
  • पीएम मोदी ने दिए हैं सब्सिडी बताने के निर्देश
  • संसद की कैंटीन में खत्म की जा चुकी है सब्सिडी
नई दिल्ली:

देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने का काम अब केवल सरकार का नहीं है। गरीबों तक सरकारी लाभ और उनकी समस्याओं के निदान के लिए केवल सरकार ही प्रयासरत नहीं रहेगी। अब समग्र विकास के लिए हर सक्षम नागरिक को अपना भी योगदान देना होगा। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार इसी मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। अंदेशा है कि सरकार अब यह प्रयास रेलवे पर भी लागू करेगी।

सड़क एवं रेलवे मंत्रालयों को दिया गया है निर्देश
घरेलू सब्सिडीयुक्त सिलेंडर से स्वेच्छा से सब्सिडी त्यागने की अपील के कामयाब होने के बाद अब खबर है कि मोदी सरकार ने रेल और सड़क परिवहन मंत्रालयों को यह निर्देश दिया है कि वह लोगों तक यह संदेश पहुंचाएं की किस जगह उन्हें कितनी सब्सिडी दी जा रही है। जब इस बारे में रेलवे के सूत्रों से संपर्क किया गया तो उनका कहना है कि रेलवे काफी लंबे समय से यह प्रचार कर रही है कि वह कितना प्रतिशत कहां पर लोगों को सब्सिडी दे रही है।

किराया बढ़ने के मिल सकते हैं संकेत
सरकार के हाल ही में दिए गए इस निर्देश के बाद अटकलों के बाजार में यह कहा जाने लगा है कि अब टिकटों पर से भी सब्सिडी हटेगी। हो सकता है कि मोदी सरकार  अब लोगों से अपील करे कि सब्सिडी स्वेच्छा से छोड़े। जो समर्थ हैं वह अपनी टिकट का पूरा किराया दें ताकि देश की प्रगति में वह भागीदार बन सकें। यह सब्सिडी जरूरत मंदों को दी जाएगी।

रेलवे पहले ही कई बार बता चुका है कि भाड़े से हो रही कमाई से वह करीब 30000 करोड़ की सब्सिडी देता है जिससे यात्रियों को सस्ती टिकट मुहैया कराई जाती है। रेलवे का कहना है कि जनरल टिकट पर प्रति किलोमीटर 22 पैसे से 44 पैसे का किराया लेती जबकि बस में यह किराया 89 पैसे से 1.44 रुपये प्रति किलोमीटर है।

जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी ने रेलवे को इसके लिए तीन महीने के अंदर योजना बनाने के लिए कहा है। अगर अभी की बात करें तो रेलवे को सब्सिडी की वजह से करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है, इस नुकसान की भरपाई रेलवे माल ढुलाई के भाड़े से बराबर करता है।

यह सरकार सबसे ज्यादा सब्सिडी दे रही है : राजनाथ सिंह
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के लिये दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करने का भ्रम फैलाया जा रहा है लेकिन सचाई यह है कि यह सरकार सबसे ज्यादा अनुदान दे रही है।

सिलेंडर सब्सिडी वापसी से सरकार ने बचाए 21000 करोड़ रुपये
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले लोगों से अपील की थी कि वे एलपीजी पर मिलने वाली सब्सिडी को त्यागें और फिर उन्होंने हाल ही में एक घोषणा में बताया कि देश के करीब एक करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं ने अपनी सब्सिडी छोड़ी और सरकार ने तमाम गरीब लोगों इसके एवज में गैस कनेक्शन मुहैया कराए हैं। सरकार का दावा है कि इससे 21,000 करोड़ रुपये सरकार ने बचाए जिनका प्रयोग जनहितकारी स्कीम में किया जाएगा।

संसद की कैंटीन में खत्म की गई सब्सिडी
बता दें कि इस सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह भी आवाज उठी की संसद की कैंटीन में दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त किया जाना चाहिए। और फरवरी 2016 में सरकार ने आखिरकार संसद की कैंटीन में सब्सिडी की व्यवस्था को समाप्त कर दिया। इसके बाद यहां खाना पहले से दो-तीन गुना महंगा हो गया। संसद की रिसेप्शन बिल्डिंग की कैंटीन में खाने वालों की हर दिन भीड़ होती थी। लेकिन अब यहां खाने के लिए लोगों को अपनी जेब ज़्यादा ढीली करनी पड़ रही है।

जो चाय पहले 2 रुपये की मिलती थी वो अब क़रीब 6 रुपये की हो गई है। इसी तरह चावल 4 रुपये प्लेट की जगह 12 रुपये प्लेट, कढ़ी पकौड़ा 6 रुपये  की जगह 12 रुपये की, शाकाहारी थाली जो 18 रुपये की थी वो 34 की हो गई है। चिकन और मटन करी 20 रुपये से 40 की हो गई है। रोटी 1 रुपये की जगह 3 रुपये की, चिकन बिरयानी 55 रुपये की जगह 104 रुपये की हो गई है।


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