बीफ बैन : गाय नहीं भैंसे का मांस, फिर भी कारोबारी की नहीं खुलेगी दुकान

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मुंबई:

गोवंश हत्या बंदी कानून के उल्लंघन के आरोप में मुंबई में पहली गिरफ्तारी वर्ली इलाके से हुई। अक़रम कुरैशी नाम के कारोबारी को गोमांस बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। लेकिन सरकारी अस्पताल की रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि जो मांस जब्त किया गया था वो गाय नहीं बल्कि भैंस का था।

मुंबई के वर्ली स्थित बीडीडी चॉल में अकरम क़ुरैशी की दुकान पर 12 मई से ताला जड़ा है। पुलिस ने गोवंश हत्या बंदी कानून लागू होने के बाद, उनकी दुकान से 29 किलो मांस जब्त कर क़ुरैशी को गिरफ्तार किया था।

अस्पताल से रिपोर्ट मिलने के बाद वर्ली पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर विनय कुलकर्णी ने कहा, 'रिपोर्ट से ये साफ हो गया है कि मांस गाय का नहीं भैंस का था, लेकिन ग़ैरकानूनी तरीके से बग़ैर लाइसेंस चलाने के मामले में हम अदालत में चार्जशीट दायर करेंगे।' मुंबई में हर दिन 90 हजार किलो बीफ़ सरकारी बूचड़ खाने से सप्लाई होता है।

शहर में करीब 900 परमिट वाले बीफ़ विक्रेता हैं। गोमांस हत्या बंदी कानून बॉम्बे हाईकोर्ट की दहलीज़ पर भी है, कोर्ट ने विक्रेताओं से 3 महीने में स्टॉक ख़त्म कर, गोमांस पर लगी रोक को कायम रखा। वैसे महाराष्ट्र में 1976 से गोहत्या पर पाबंदी है, लेकिन गोवंश हत्या लागू होने से खपत होने वाले 80 फीसदी बैल और बछड़े भी इसमें आ गए जिससे इसके कारोबार से जुड़े लोगों में खासी नाराज़गी है।

बीडीडी चॉल में रहने वाले क़ुरैशी परिवार के लोगों का कहना है कि अकरम का परिवार फिलहाल पुणे में रह रहा है, दुकान बंद होने से उन्हें आर्थिक कठिनाई के दौर से गुज़रना पड़ा रहा है, वहीं इलाके के लोग ये भी सवाल पूछ रहे हैं कि सरकार एक धर्म विशेष के खान-पान के पीछे ही क्यों पड़ी है।

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महाराष्ट्र सरकार के गोवंश हत्या बंदी कानून का उल्लंघन करने पर 5 साल की सज़ा और 10000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। हाईकोर्ट 25 जून को तय करेगा कि बीफ खाना मूलभूत अधिकार है या नहीं।