यह ख़बर 20 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

भारत बंद : बीजेपी, लेफ्ट, मुलायम का एक साथ सरकार पर वार

खास बातें

  • डीजल की मूल्य वृद्धि, सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित किए जाने व मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ पार्टियों का राष्ट्रव्यापी बंद का मिला-जुला असर रहा।
नई दिल्ली / लखनऊ / पटना / कोलकाता:

डीजल की मूल्य वृद्धि, सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित किए जाने व मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ गुरुवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग), समाजवादी पार्टी, सत्तारुढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सहयोगी द्रविण मुनेत्र कड़गम (डीएमके) व वामपंथी पार्टियों के राष्ट्रव्यापी बंद का मिला-जुला असर रहा।

बंद के दौरान सीताराम येचुरी, प्रकाश करात, एबी बर्धन, चंद्रबाबू नायडू और मुलायम सिंह यादव ने दिल्ली में तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता वेंकैया नायडू, अनंत कुमार, येदियुरप्पा ने बेंगलुरू में गिरफ्तारी दी।  वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि बंद से देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम लोगों का भी नुकसान हुआ।

जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने 25 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी पर प्रहार करने वाले इन फैसलों के मद्देनजर कांग्रेस को मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद से हटा देने की सलाह दी।

बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड में बंद के कारण रेल एवं सड़क यातायात प्रभावित हुआ। गोवा एवं शिवसेना द्वारा बंद का समर्थन किए जाने से मुम्बई में बंद का कोई प्रभाव नहीं दिखाई दिया।

उद्योग संगठन सीआईआई ने बंद के कारण 12,500 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन लगाया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बसें व ऑटोरिक्शा सामान्य रूप से चले और मेट्रो सेवाएं भी अप्रभावित रहीं। बाजारों में व्यापार अन्य दिनों की तरह सामान्य रहा। बच्चों को असुविधा न हो इसलिए कुछ निजी स्कूलों ने अवकाश की  घोषणा की थी।

वामपंथी नेताओं सीताराम येचुरी और एबी बर्धन ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी और मुरली मनोहर जोशी के साथ संवाददाताओं को संबोधित किया। गडकरी ने कहा कि एफडीआई की अनुमति दिए जाने से यहां का बाजार चीन के सामान से भर जाएगा और छोटे व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो जाएगा।  

भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश जहां बंद से अछूता रहा वहीं पंजाब में बंद का मिलाजुला असर दिखा। पंजाब में सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन ने बंद का समर्थन किया। हरियाणा में विपक्षी इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) के कार्यकर्ताओं ने घरौंदा शहर में एक लोकल ट्रेन को रोका।

जम्मू एवं कश्मीर में बंद से व्यावसायिक प्रतिष्ठान और अन्य व्यापारिक गतिविधियां ठप पड़ गई हैं, वहीं सामान्य जीवन की रफ्तार भी थम गई। निजी स्कूल बंद रहे।

उत्तर प्रदेश में भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने सूबे के कई शहरों में प्रदर्शन किया। बंद का रेल और बस सेवाओं पर खासा असर पड़ा है। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनियां गांधी का पुतला भी फूंका।

बिहार में भाजपा और जनता दल (युनाइटेड) के बंद समर्थक पटना सहित राज्य के सभी इलाकों में सुबह से ही सड़कों पर आ गए तथा पटरियों पर जाम लगा दिया। व्यापारिक प्रतिष्ठान और दुकानें बंद रहे व सड़कों पर आवागमन के साधन भी नहीं दिखे।

भोपाल को छोड़कर मध्य प्रदेश, मुम्बई को छोड़कर शेष महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड एवं त्रिपुरा में बंद से रेल व सड़क परिवहन बाधित रहा। ज्यादातर व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे और कार्यालयों में उपस्थिति कम रही। भूटान के प्रधानमंत्री व श्रीलंकाई राष्ट्रपति के प्रवास के मद्देनजर राजधानी भोपाल को बंद से अलग रखा गया।

तमिलनाडु में सत्ता पक्ष एवं प्रमुख विपक्षी दल डीएमके द्वारा बंद का समर्थन करने के बाद भी इसका मिलाजुला असर रहा, तो गोवा, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश में बंद का व्यापक असर दिखा। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एपीएसआरटीसी) की बसें सड़कों पर नहीं उतरीं।

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कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ले कर आए। मुलायम ने कहा, "मूल्य वृद्धि बर्दाश्त नहीं कर सकते लेकिन सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए उनकी पार्टी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को समर्थन देगी।"