संयुक्त राष्ट्र में बच्चों के अधिकारों की आवाज बुलंद करेंगी भोपाल की यशस्वी

संयुक्त राष्ट्र में बच्चों के अधिकारों की आवाज बुलंद करेंगी भोपाल की यशस्वी

बाल अधिकार पर आयोजित कार्यक्रम में यशस्वी कुमुद.

भोपाल:

चार साल की उम्र से ही बाल विवाह के खिलाफ और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा जैसे अधिकारों को लेकर अलख जगाने वाली भोपाल की यशस्वी कुमुद अब अमेरिका में अपनी आवाज बुलंद करेंगी। वह 'नाइन इज माइन' नामक बच्चों के अधिकार अभियान में संयुक्त राष्ट्र संघ साधारण सभा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

यशस्वी इस अंतरराष्ट्रीय अभियान के लिए चयनित किए गए देश के उन पंद्रह बच्चों में मध्यप्रदेश से इकलौती प्रतिनिधि हैं, जो अपने-अपने माध्यमों से बच्चों के अधिकारों के लिए सक्रिय हैं।

'नाइन इज माइन' का यह अभियान 13 सितंबर से दिल्ली में शुरू होगा और 17 सितंबर को यशस्वी सहित 15 बच्चों का दल न्यूयार्क के लिए रवाना होगा। दिल्ली में अभियान के दौरान दल के सदस्य देश में विभिन्न देशों के राजदूतों के अलावा केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे और बच्चों की बेहतर जिंदगी के लिए नए सुझावों और सवालों के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बच्चों के लिए बनाए गए चार्टर पर ठोस अमल करने पर जोर देंगे। इन पर भारत सरकार ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

न्यूयार्क में बच्चों के दल के कई कार्यक्रम हैं। इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून से मुलाकात भी प्रस्तावित भी है। 30 सिंतबर को स्वदेश वापसी के साथ यह दौरा समाप्त होगा।   
                        
जानिए कौन हैं यशस्वी
यशस्वी अभी कक्षा 11 में ह्यूमिनिटीस (मानविकी शास्त्र) की पढ़ाई कर रही हैं। वह चार साल की उम्र में बेटियों के जीवन, रक्षा और सम्मान के लिए काम करने वाली संस्था सरोकार के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अभियान का हिस्सा बनीं और 9 वर्ष की आयु में इसी संगठन के साथ प्लस माइनस इक्वल टू (+ - =) नामक बच्चों का सहयोगी समूह बनाया, जो बच्चों के अधिकारों के लिए, बच्चों के बीच में काम करता है।

यह समूह सक्रिय रूप से बाल विवाह के खिलाफ, बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सुरक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अन्य ऐसे सामाजिक मुद्दे, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों को प्रभावित करते हैं, के लिए काम कर रहा है।
 

बाल अधिकार पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करतीं यशस्वी कुमुद.

यशस्वी का मानना है,  'समानता आधारित आजाद समाज के लिए एक बदलाव जरूरी है और वह बदलाव मैं हूं।'

यशस्वी बच्चों के बीच गीतों, नाटकों और संवाद के माध्यम से बच्चों की आवाज बनकर उनके बीच जागरुकता लाने का प्रयास करती हैं तथा उन्हें बाल अधिकारों से अवगत कराने के साथ ही यह जानने का प्रयास करती हैं, कि वह क्या चाहते हैं और उनकी दुनिया कैसी हो। सरकारों को बच्चों के हित में क्या कदम उठाने चाहिए? 

वह मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, उज्जैन, खंडवा, गवालियर, दतिया तथा दिल्ली, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़, झांसी, आंध्र प्रदेश के हैदराबाद, पंजाब के चंडीगढ़ आदि राज्यों के जिलों में अपने कार्यक्रमों और प्रस्तुतियों के माध्यम से जागरुकता अभियान चला चुकी हैं।

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यशस्वी का बाल समूह निरंतर बाल विवाह के विरुद्ध काम कर रहा है,  क्योंकि यशस्वी मानती हैं कि बच्चों का यह शोषण उनसे उनके सभी अधिकार छीन लेता  है। उनका समूह पर्यावरण तथा साम्प्रदायिक सदभाव के लिए भी कार्य करता है,  क्योंकि यह मुद्दे भी बच्चों को प्रभावित करते हैं। इस विषय को लेकर सोशल मीडिया द्वारा जागरूक करने के लिए एक पेज भी बना गया है, जिसका नाम है 'चिल्ड्रन्स वॉइस) अवर नेचर अवर राइट'।