यह ख़बर 19 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

बिहार ने फिर उठाई विशेष राज्य के दर्जे की मांग

खास बातें

  • बिहार ने तीव्र विकास की अपनी जरूरतों को रेखांकित करते हुए केंद्र से फिर अपील की है कि उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए।
New Delhi:

बिहार ने तीव्र विकास की अपनी जरूरतों को रेखांकित करते हुए केंद्र से फिर अपील की है कि उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए, ताकि राज्य में औद्योगिक निवेश को अधिक आकर्षक बन सके। राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के लिए प्रदेश में 26,000 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च का 90 प्रतिशत केंद्र से अनुदान के रूप में मांगा है। हाल के विधान सभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की दोबारा अभूतपूर्व सफलता के साथ लौटे बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय काफी कम है। इस मामले में राष्ट्रीय स्तर की बराबरी के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है तथा निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की जरूरत है। मोदी केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा आम बजट की तैयारी के सिलसिले में आयोजित राज्यों के वित्तमंत्रियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बिहार के उप मुख्यमंत्री ने कहा, हालांकि पिछले कुछ साल में बिहार की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर उत्साहवर्धक रही है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में हम अब भी राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे हैं। आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार 2008-09 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 13,633 रुपये थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 37,490 रुपये थी। उन्होंने कहा, प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत की बराबरी के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है। इसीलिए कृषि उद्योग जैसे संभावित क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए बिहार को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। इससे पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर राज्य का विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। उन्होंने इस बाबत एक ज्ञापन भी सौंपा था।


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