यह ख़बर 26 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

दक्षिण अफ्रीकी किसानों को खेती के गुण सिखाएगा बिहार का किसान

पटना:

धान की खेती में विश्व रिकॉर्ड बनाने वाला बिहार का एक किसान अब दक्षिण अफ्रीका के किसानों को धान की खेती का प्रशिक्षण देगा। इसके लिए दक्षिण अफ्रीका सरकार उसे हर महीने 50 हजार रुपये की तनख्वाह देगी।

बिहार के नालंदा जिले के दरबेशपुरा गांव के रहने वाले किसान सुमंत कुमार ने 2011 में सर्वाधिक 224 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान उपजाकर धान की खेती का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है।

सुमंत ने कहा, 'फेसबुक की वजह से ही दक्षिण अफ्रीका सरकार से संपर्क करने का मौका मिला और अब मैं वहां के किसानों को एसआरआई विधि से धान की खेती का प्रशिक्षण दूंगा।'

12वीं तक पढ़ाई कर चुके सुमंत ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने उनसे फेसबुक पेज के माध्यम से संपर्क साधा था, जिसके बाद उन्होंने टेलीफोन पर बातचीत की।

उन्होंने कहा, 'कई बार की बातचीत के बाद दक्षिण अफ्रीका के कई लोगों ने मेरे पैतृक गांव का दौरा किया और 19 अगस्त को एक करार पर हम दोनों के बीच सहमति हुई।'

वह कहते हैं, 'मैं अक्टूबर में दक्षिण अफ्रीका जा रहा हूं। मैं पहली बार विदेश जा रहा हूं। मुझे 50 हजार रुपये महीना और धान की खेती में हुए मुनाफे का पांच फीसदी हिस्सा दिया जाएगा।'

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2013 में उन्हें कृषि कर्मन पुरस्कार से सम्मानित किया था। साथ ही पंजाब सरकार ने भी उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। कॉर्नेल इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर फूड एंड एग्रीकल्चर के नॉर्मन अपहोफ ने 1990 के अंत में धान की खेती की इस विधि से दुनिया को परिचित कराया था।

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बिहार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि एसआरआई विधि के सफल इस्तेमाल ने देश-विदेश के विशेषज्ञों को प्रभावित किया है। सरकार द्वारा बीज, खाद और विशेषज्ञों का दिशा-निर्देश मुफ्त में मुहैया कराए जाने के बावजूद किसान शुरुआत में इस विधि के प्रयोग से कतराते थे। लेकिन आज बहुत सारे किसान इस विधि से धान की खेती कर रहे हैं।