पंजाब में ड्रग्स माफिया और खालिस्तानी आतंकियों के मुद्दे पर बीजेपी-अकाली दल में बढ़ते फासले

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के साथ पीएम नरेंद्र मोदी

पंजाब में ड्रग्स माफिया को सियासी संरक्षण और खालिस्तानी आतंकियों पर नरम रुख को लेकर एनडीए की दो सबसे पुरानी सहयोगी पार्टियों में फासला बढ़ता जा रहा है। अब बीजेपी ने बूथ लेवल तक के कार्यकर्ता तैयार करने की मुहिम शुरू करने का ऐलान किया है, जो इशारा है कि पार्टी 2017  के चुनावों के लिए सभी विधानसभाओं में पैठ बनाना चाहती है।
 
आनंदपुर साहिब के मजहबी जलसे में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ड्रग्स का मुद्दा छेड़कर अकाली दल की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।  जबकि मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल पंजाब में नशे को लेकर बहस को पंजाबियों को बदनाम करने की साजिश करार दे चुके हैं।

अब कट्टरपंथी सिख धड़े को खुश करने के लिए पहले तिहाड़ जेल से खालिस्तानी आतंकी देविन्दर पाल सिंह भुल्लर और फिर कर्नाटक की जेल से गुरदीप सिंह खैरा को अमृतसर जेल शिफ्ट करने से बीजेपी नाराज़ है।
 
लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को इसमें कुछ गलत नज़र नहीं आ रहा। भुल्लर का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि पहले 30 साल वह जेल में रहा, फिर केंद्र सरकार ने उसकी फांसी भी माफ़ कर दी। वह मानसिक तौर पर बीमार है, वह कैसे कोई आतंकी वारदात को अंजाम दे सकता है।
 
बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के लिए एक अगस्त से तीन महीने तक के लिए एक ट्रेनिंग कैंप आयोजित करने जा रही है, जिसका मक़सद है बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं की फ़ौज तैयार करना और पार्टी ऐसा तब कर रही है, जब वह प्रदेश की 117 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 23 पर ही चुनाव लड़ती आई है।
 
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष कमल शर्मा को इस बात से इंकार नहीं कि पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने से पार्टी मजबूत होती है और ये इसलिए दिया जाता है कि ताकि पार्टी को चुनाव में फायदा हो।
 
हालांकि पार्टी के नेता अकाली दल से संबंधों पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन इशारा साफ़ है कि बीजेपी राज्य में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव को अपने दम पर लड़ने की तैयारी कर रही है।

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