लालू-नीतीश के गठबंधन में गांठ, बीजेपी की आसान होती राह

सुशील कुमार मोदी की फाइल फोटो

नई दिल्‍ली:

जनता परिवार के विलय ना होने से बिहार में बीजेपी की राह आसान होती जा रही है। बीजेपी अब पूरी ताकत के साथ बिहार में विधानसभा चुनावों के लिये जुट गई है। इसके लिये पड़ोसी राज्यों के नेताओं से भी मदद ली जा रही है।

आपस में नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर विवाद ना हो इसके लिये पार्टी चुनाव में एक नेता के नाम के बजाय टीम के तौर पर चुनाव लड़ेगी। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष मंगल पांडे ने कहा कि बिहार में करीब 75 लाख नये पार्टी के सदस्य बने हैं और इनका पूरा इस्तेमाल चुनावी अभियान में किया जायेगा।

बिहार के चुनावी दंगल में फिलहाल पार्टी लोक जन शक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ है लेकिन उसने अपने सारे विकल्प खुले रखे है। संभावना है पार्टी जीतन राम मांझी और पप्पू यादव का सियासी फायदा उठाने का कोशिश जरूर करेगी। बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेन्द्र यादव कहते हैं, 'दोनों बिहार में सियासी ताकत हैं और अगर साथ रहते हैं तो हमारी स्थिति जरूर और मजबूत होगी।'

वैसे बीजेपी को अच्छी तरह पता है कि जीतन राम की दलितों में और पप्पू यादव की बिहार के चार पांच जिलों में अच्छी पकड़ है। जनता परिवार का अब तक विलय ना होने से बीजेपी का काम आसान हो गया है। पार्टी के लिये अच्छी बात ये है कि लालू और नीतिश के रिश्ते में मिठास के बजाय खटास आ गई है। तभी तो पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद कहते हैं ये दोनों पार्टियों के नेता हारे हुए हैं और सत्ता के लालच में साथ आएंगे, फिर भी हमें सत्ता में आने से रोक नहीं सकते।

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सियासी तौर से अहम बिहार के चुनाव में बीजेपी को अगर कामयाबी मिली तो उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे राज्यों में उसकी लड़ाई आसान हो जायेगी। वैसे भी पार्टी ये भली-भांति जानती है कि मोदी के रुतबे को कायम रखने के लिये बिहार में फतह करना जरूरी है।