बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जनाधार मजबूत करने पर चर्चा, लैंड बिल पर खास जोर

बेंगलुरु:

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिनों की बैठक आज से बेंगलुरु में शुरु हो गई है। बैठक की शुरुआत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भाषण के साथ हुई।

बैठक की औपचारिक शुरुआत वंदे-मातरम् के गान के साथ हुआ। इस दौरान मंच पर पीएम मोदी और अमित शाह के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली भी मौजूद थे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी बैठक में शामिल हैं।

ये पहला मौका होगा जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को लालकृष्ण आडवाणी संबोधित नहीं करेंगे। इस बार कार्यकारिणी की बैठक का अंत पीएम मोदी के भाषण से होगा। इससे पहले साल 2013 में आडवाणी गोवा में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

ये बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की केंद्र में सरकार बनने और अमित शाह के नेतृत्व में होने वाली पहली बैठक है। इस बैठक में पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ-साथ बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्षों समेत कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है।

बैठक में उन राज्यों में पार्टी का जनाधार मज़बूत करने के लिए एक्शन प्लान लाया जाएगा, जहां अभी पार्टी कमज़ोर मानी जाती है। इसके अलावा इस बैठक में लोगों तक बीजेपी सरकार के फैसलों और किए जा रहे कामों को सही तरह से पहुंचाने पर भी विचार किया जाएगा।

भूमि विधेयक पर आलोचनाओं से घिरी बीजेपी ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर वार्ता में किसानों को शामिल करने और विपक्ष द्वारा फैलाए गए 'भ्रम और दुष्प्रचार' को दूर करने के लिए व्यापक पैमाने पर संपर्क कार्यक्रम चलाएगी। हालांकि पार्टी ने साथ ही कहा कि वह विपक्षी दलों और किसानों द्वारा सुझाए गए बदलावों को तैयार है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी महासचिव पी मुरलीधर राव ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर विचार मंथन करेगी और अगले महीने सत्ता में एक साल पूरा होने के मौके पर सरकार के अच्छे कार्यों के प्रचार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाएगी।

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उन्होंने संवाददाताओं से कहा, भूमि विधेयक पर चर्चा होगी। विपक्ष ने इसके बारे में बहुत भ्रम फैलाया है और दुष्प्रचार किया है। हम इसके खिलाफ लोगों के पास जाएंगे। औद्योगिकीकरण आवश्यक है और हमें उद्योग तथा कृषि के बीच कोई संघर्ष नहीं दिखता। हम किसानों को एक पक्ष बना रहे हैं और उनके हितों से समझौता नहीं किया जाएगा। राव ने कहा कि बीजेपी नेतृत्व पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि वह विपक्षी दलों और किसानों से वार्ता का इच्छुक है तथा विधेयक में बदलाव पर विचार किया है।

(कुछ अंश भाषा से भी)