यह ख़बर 31 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल विधेयक में अपने सुझाव स्वीकार नहीं होने से भाजपा नाराज़

खास बातें

  • भाजपा ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कैबिनेट की ओर से गुरुवार को मंज़ूर किए गए लोकपाल विधेयक में उसकी ओर से दिए गए सुझावों को शामिल नहीं किया गया है।
नई दिल्ली:

भाजपा ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कैबिनेट की ओर से गुरुवार को मंज़ूर किए गए लोकपाल विधेयक में उसकी ओर से दिए गए सुझावों को शामिल नहीं किया गया है।

पार्टी के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सीबीआई को स्वतंत्र निकाय बनाए जाने के भाजपा के सुझाव को स्वीकार किया जाना चाहिए था।

उन्होंने बताया कि लोकपाल को प्रभावी बनाने के लिए भाजपा ने सुझाव दिया था कि सीबीआई को स्वतंत्र निकाय बनाया जाए और उसके निदेशक का कार्यकाल सुरक्षित होने के साथ ही रिटायर होने के बाद उसकी अन्य जगह नियुक्ति नहीं हो।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई निदेशक को निष्पक्ष होकर काम करने देने के लिए जरूरी है कि ना उसके कार्यकाल पर तलवार लटकी हो और ना ही उसे रिटायर होने के बाद कहीं और नियुक्ति हो सकने का लालच हो।

उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने प्रवर समिति के इस सुझाव को क्यों नहीं माना कि लोकपाल के मामलों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी का स्थानांतरण लोकपाल की मंजूरी से ही किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति पारदर्शी होने के लिए उसे सरकार के नियंत्रण से बाहर होना चाहिए।

प्रसाद ने कहा कि सरकार ने इस सुझाव को नहीं मान कर स्पष्ट कर दिया है कि वह सीबीआई को स्वायत्त इकाई बनाने के प्रति गंभीर नहीं है।

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उन्होंने कहा कि लोकपाल को प्रभावी बनाने के लिए भाजपा और प्रवर समिति द्वारा दिए गए कई अच्छे सुझावों को नहीं मान कर सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं कि वह भ्रष्टाचार से निपटने के प्रति गंभीर नहीं है।