यह ख़बर 29 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

ब्लैकमनी : सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र ने 627 विदेशी खाताधारकों के नामों की सूची सौंपी

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को काले धन से जुड़े मामले में सूची सौंप दी है। सूची में 627 लोगों के नाम शामिल हैं, ये नाम तीन सीलबंद लिफाफे में सौंपे गए हैं। ये सभी नाम जांच के दायरे में हैं।

लिस्ट में नामों के अलावा विदेशी देशों के साथ हुए समझौते और मामले की स्टेटस रिपोर्ट भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने लिफाफा नहीं खोला और उसे एसआईटी को सौंप दिया। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ एसआईटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ही खाताधारकों के नामों वाला सीलबंद लिफाफा खोल सकते हैं। कोर्ट ने एसआईटी को नवंबर के अंत तक स्टेटस रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

वहीं सरकार ने कहा, कालेधन पर कुछ भी छुपाने की हमारी मंशा नहीं है और सुप्रीम कोर्ट जिस एजेंसी से चाहे, जांच करवाए।

पीठ के समक्ष दस्तावेज पेश करते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि खाताधारकों के बारे में ब्यौरा वर्ष 2006 का है, जिसे फ्रांसीसी सरकार ने 2011 में केंद्र सरकार को भेजा था।

उन्होंने बताया कि जिनीवा में एचएसबीसी बैंक से आंकड़े को चुरा लिया गया था, जो बाद में फ्रांस पहुंच गए और वहां से सरकार को सूचना मिली।

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रोहतगी ने बताया कि सीलबंद लिफाफे में तीन दस्तावेज हैं, जिसमें सरकार का फ्रांसीसी सरकार के साथ हुआ पत्र व्यवहार, नामों की सूची और स्थिति रिपोर्ट शामिल है।

इससे पूर्व मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने काले धन पर कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि उनकी सरकार को समूची सूची कोर्ट को सौंपने में कोई दिक्कत नहीं है और सरकार चाहती है कि एक कानूनी प्रक्रिया के तहत मामले की जड़ तक पहुंचा जाए और दोषियों को सजा दिलाई जा सके।

गौरतलब है कि काले धन पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ाई के आगे सरकार की एक नहीं चली। सरकार ने लोगों की प्राइवेसी यानी निजता का हवाला दिया, विदेशों से हुई संधियों का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने दो टूक कह दिया कि सरकार को विदेशों में काला धन रखने वालों की ढाल बनने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यहां तक कहा था, आपको कुछ भी नहीं करना है। सिर्फ खाताधारकों की सूचना हमें दीजिए और हम आगे जांच के लिए आदेश देंगे। हम काला धन वापस लाने का मसला सरकार पर नहीं छोड़ सकते हैं। यह हमारे जीवन काल के दौरान नहीं होगा।
 
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की यह मांग खारिज कर दी थी कि वह अपने पुराने आदेश में संशोधन करे। अदालत ने कहा कि वह अपने आदेश में एक शब्द भी नहीं बदलेगी।

(इनपुट्स भाषा से भी)