यह ख़बर 21 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

कालाधन रखने वालों के नाम कांग्रेस पार्टी को शर्मिंदा करेंगे : एनडीटीवी से वित्तमंत्री जेटली

नई दिल्ली:

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार ने यह कभी नहीं कहा कि वह उन भारतीयों के नाम नहीं बताएगी जिन्होंने विदेशों में काला धन छिपा कर रखा है। एनडीटीवी की समूह संपादक बरखा दत्त से खास बातचीत में उन्होंने आगे स्पष्ट कहा कि कांग्रेस पार्टी के लिए शर्मिंदगी होगी जब हम कोर्ट में उनके नाम साझा करेंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि 'जो हमने कहा वही हुआ'। यह टिप्पणी कांग्रेस की तब आई थी जब कोर्ट में सरकार की ओर से कहा गया था कि विदेशों में काला धन रखने वालों के नाम सरकार अभी नहीं उजागर कर सकती। यह बात कोर्ट में सरकार की ओर से जर्मनी में उन भारतीय को नाम को लेकर कही गई थी जिनके रुपये वहां जमा थे। जर्मनी द्वारा 2009 में इस संबंध में भारत सरकार को एक सूची उपलब्ध कराई गई है।

जेटली ने कहा कि जब तक कोर्ट में चार्जशीट दायर नहीं हो जाती तब तक ऐसे लोगों के नाम न उजागर करने के संबंध में दोनों देशों के बीच एक समझौता है। उन्होंने यहां भी यह स्पष्ट कर दिया कि इसके लिए ज्यादा समय नहीं लगेगा। वित्तमंत्री का कहना है कि जैसे ही सरकार कोर्ट में काला धन वालों के नाम रखेगी वैसी ही मीडिया और आम नागरिकों के बीच यह नाम आ जाएंगे और लोगों को पता चल जाएगा कि कांग्रेस ने लोगों में भ्रम फैलाया। साथ ही उनका कहना था कि कांग्रेस पार्टी को चिंता करनी चाहिए न कि भाजपा को...

वित्तमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि इस प्रकार की कर संधियां जो जांच के स्तर पर नाम न बताने के लिए मजबूर करती हैं यह संधियां कांग्रेस सरकार ने 1995 में स्वीकारी थीं।

बता दें कि विदेशों में कालाधन और उसे वापस लाने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की ओर जोरदार चुनाव प्रचार किया गया था। पार्टी ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी उन कर संधियों को बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रही है ताकि दोषियों को बचाया जा सके।
 
जानकारी दे दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष दल का गठन किया है जो इस बात पर विचार कर रहा है कि किस प्रकार विदेशों में जमा काला धन देश में वापस लाया जा सकता है। प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी द्वारा 2009 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया था।

कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि जर्मनी से मिले नामों को जेठमलानी के साथ साझा किया जाए। इसका तात्पर्य था कि नाम सार्वजनिक हो जाएंगे।

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बताया जा रहा है कि 500 भारतीयों की एक अलग सूची सरकार के पास है जिनके खाते स्विटजरलैंड के एचएसबीसी बैंक में हैं। जेटली ने बताया कि स्विटजरलैंड उन लोगों के नाम साझा करने को तैयार है जिन लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंसियों ने सबूत जुटा लिए हैं। उनका कहना है कि यह भारत सरकार की उपलब्धि क्योंकि स्विटजरलैंड के गोपनीयता के कानून बहुत ही सख्त हैं।