यह ख़बर 27 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

ब्लैक मनी का मुद्दा : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में आठ नामों का खुलासा किया

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने विदेशी बैंकों में कथित रूप से काला धन जमा करने वाले ऐसे आठ और व्यक्तियों के नाम उच्चतम न्यायालय में उजागर किए जिनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की गई है। इनमें डाबर इंडिया के प्रमोटर प्रदीप बर्मन, एक सर्राफा कारोबारी और गोवा की एक खानन कंपनी का नाम भी है।

केंद्र ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में राजकोट के सर्राफा कारोबारी पंकज चिमनलाल लोढ़ीया और गोवा की खनिज कंपनी टिंब्लो प्रा. लि. और उसके पांच निदेशकों के नामों को उजागर किया है।

पिछले कई दिन से काला धन जमा करने वालों के नाम उजागर करने को लेकर राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वियों के हमलों का निशाना बन रही सरकार ने हलफनामे में कहा है कि ये नाम फ्रांस सरकार और दूसरे देशों से मिले हैं।

सरकार ने काला धन जमा करने वाले और व्यक्तियों के नाम उजागर करने का वायदा करते हुए कहा है कि विदेशी बैंकों के सभी खातों को 'गैरकानूनी' नहीं कहा जा सकता है।

सरकार ने हाल ही में दाखिल अपने हलफनामे के बाद अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है। पहले दाखिल किए गए हलफनामे में सरकार ने कहा था कि विदेशी बैंकों में खाता धारकों के नामों का उस समय तक खुलासा नहीं किया जा सकता जब तक उनके खिलाफ कर चोरी का साक्ष्य नहीं हो और उनके खिलाफ भारत में कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं कर दी गयी हो।

बर्मन का नाम फ्रांस सरकार से मिला है, जबकि लोढ्या और दूसरे व्यक्तियों के नाम 'दूसरे देशों' से मिले हैं।

सूची में टिंब्लो प्रा. लि और उसके निदेशक श्रीमती राधा सतीश टिंब्लो, चेतन एस टिंब्लो, रोहन एस टिंब्लो, श्रीमती अन्ना सी टिंब्लो और श्रीमती मल्लिका आर टिंब्लो शामिल हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि खाता धारक कंपनी है या उसके निदेशक हैं।

शीर्ष अदालत में नामों का खुलासा होने के तुरंत बाद ही डाबर इंडिया प्रमोटर परिवार बर्मन ने कहा कि खाते के बारे में सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गई हैं।

डाबर के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, 'हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह खाता उन्होंने (प्रदीप) ने उस वक्त खोला था जब वह प्रवासी भारतीय थे और उन्हें कानूनी रूप से यह खाता खोलने की अनुमति थी।' प्रवक्ता ने कहा, 'हमने सारे कानूनों का पालन किया है और इस खाते के बारे में आवश्यक सारी जानकारी स्वेच्छा से आयकर विभाग को सौंपी गई है और उचित देय कर का भुगतान किया गया है।'

वहीं लोढ़ीया ने स्विस बैंक में खाता होने से ही इनकार किया है। उन्होंने कहा है, 'हम पहले ही आयकर विभाग के समक्ष इसकी घोषणा कर चुके हैं और इसमें कुछ भी नहीं है। हमारा कोई भी स्विस खाता नहीं है और मैं सिर्फ यही कह सकता हूं।'

राधा टिंब्लो ने हलफनामे में उनके नाम का जिक्र होने पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस पर टिप्पणी करने से पहले वह इसका अध्ययन करेंगी।

सरकार ने दस पेज के हलफनामे में कहा है कि दूसरे मुल्कों से विदेशी बैंकों में खातों के बारे में मिली सारी जानकारी और उनके नाम उस समय तक सार्वजनिक नहीं कर सकती है जब तक कि कर चोरी के बारे में कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए 'पहली नजर में' साक्ष्य उपलब्ध नहीं हों।

हलफनामे में कहा गया है कि विदेशों में गैरकानूनी धन जमा करने वाले व्यक्तियों के नामों का खुलासा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। लेकन विदेश में खाता रखने वाले प्रत्येक भारतीय का खाता गैरकानूनी नहीं हो सकता और संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त निजता संबंधी नागरिकों के मौलिक अधिकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

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हलफनामे में कहा गया है कि कार्यवाही की प्रक्रिया के दायरे में आने वाले मामलों में भी संविधान के अनुच्छेद 32 (1) के तहत ऐसे नामों और सूचनाओं तथा दस्तावेजों का खुलासा नहीं किया जा सकता है।