यह ख़बर 19 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

श्रीलंका पर संसद में हंगामा, राज्यसभा में कामकाज नहीं

खास बातें

  • श्रीलंका में गृहयुद्ध के आखिरी चरण में श्रीलंका सेना द्वारा तमिल नागरिकों का जनसंहार और युद्ध अपराध किए जाने के आरोप का मुद्दा मंगलवार को गरमाया रहा और संसद के दोनों सदनों में तमिलनाडु की दो राजनीतिक पार्टियों ने हंगामा कर कामकाज बाधित कर दिया।
नई दिल्ली:

श्रीलंका में गृहयुद्ध के आखिरी चरण में श्रीलंका सेना द्वारा तमिल नागरिकों का जनसंहार और युद्ध अपराध किए जाने के आरोप का मुद्दा मंगलवार को गरमाया रहा और संसद के दोनों सदनों में तमिलनाडु की दो राजनीतिक पार्टियों ने हंगामा कर कामकाज बाधित कर दिया।

दोपहर तक दोनों सदनों में कामकाज नहीं हो पाया और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी, लेकिन 2 बजे के बाद जहां लोकसभा में स्थिति सामान्य हो गई, वहीं राज्यसभा में कोई विधायी कार्य नहीं हो पाया और सदन पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के सदस्यों ने संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया। दोनों पार्टियों के सदस्यों ने लोकसभा में अध्यक्ष और राज्यसभा में सभापति के आसन के समीप तक जाकर नारेबाजी की।

उत्तेजित सदस्यों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआर) में श्रीलंका के खिलाफ लाए जा रहे अमेरिकी प्रस्ताव में संशोधन कराने के लिए कदम उठाने की मांग की।

सदस्यों ने प्रस्ताव में श्रीलंका की सेना पर तमिलों का 'जनसंहार' और 'युद्ध अपराध' करने का आरोप लगाने की मांग की। इसके साथ ही वे श्रीलंका में तमिलों के खिलाफ हो रहे कथित अत्याचार की स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांच कराने की भी मांग की।

राज्य सभा में इस मुद्दे पर तीन बार कार्यवाही स्थगित होने के बाद सदन के बहाल होते ही डीएमके और एआईडीएमके के सदस्य फिर से सभापति के आसन के सामने पहुंच गए और तख्तियां लहरा कर नारे लगाने लगे।

शांति की लगातार अपील का उत्तेजित सदस्यों पर कोई असर नहीं होता देख पीठासीन अधिकारी रेणुका चौधरी ने सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।

लोकसभा में अपराह्न् दो बजे के बाद सदन के बहाल होने पर स्थिति सामान्य रही और केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दुष्कर्म के खिलाफ कठोर दंड के प्रावधान आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2013 की खूबियां गिनाईं। विधेयक मंगलवार को ही दोपहर में लोकसभा में पेश किया गया था।

इससे पहले केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से डीएमके के अलग हो जाने के बाद भी सरकार की स्थिरता पर कोई खतरा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि सरकार को संसद में बहुमत हासिल है।

चिदंबरम ने कहा कि डीएमके ने जो दो सुझाव रखे हैं, उस पर कांग्रेस कोर समूह की बैठक में गंभीरता से चर्चा की गई। इस पर सभी राजनीतिक दलों से बातचीत की जाएगी कि संसद में ऐसा कोई प्रस्ताव लाया जाए या नहीं। उन्होंने कहा कि यूएनएचआरसी में लाया जा रहे अमेरिकी प्रस्ताव का मसौदा सरकार को सोमवार देर रात मिला है और इस बात पर गहनता से विचार किया जा रहा है कि संशोधन लाने से प्रस्ताव को मजबूती मिलेगी या नहीं। संसद में प्रस्ताव लाने के बारे में उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के साथ परामर्श किया गया है तथा इस बारे में और विचार-विमर्श किया जा रहा है।

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चिदंबरम के बहुमत के दावे के बावजूद सरकार ने इस मामले पर बीचबचाव का रास्ता अपनाने का संकेत देते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा को बताया कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।