जर्मन चांसलर मर्केल और पीएम मोदी की मुलाकात में कारोबार बढ़ाने पर जोर

जर्मन चांसलर मर्केल और पीएम मोदी की मुलाकात में कारोबार बढ़ाने पर जोर

नई दिल्ली:

तीन दिन की भारत यात्रा पर नई दिल्ली आईं जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। जर्मनी यूरोपियन यूनियन में भारत में सबसे बड़ा निवेशक हैं और उनकी इस यात्रा का दोनों देशों के बीच आपसी कारोबार बढ़ाना और रिश्तों में मजबूती देना है। इस बीच पीएम मोदी और मर्केल के बीच मुलाकात जारी है। दोनों के बीच हो रही इस बीतचीत में रक्षा, उच्च तकनीक, स्किल डेवलेंपमेंट, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर चर्चा होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन दिन की यात्रा पर रविवार रात नई दिल्ली पहुंचीं जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल का स्वागत किया और कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों के मजूबत होने की उम्मीद करते हैं। मर्केल के साथ उनके कई कैबिनट मंत्री, बड़े अधिकारी और जर्मन कंपनियों के सीईओ भी भारत आए हैं।

दिल्ली हवाई अड्डे पर मर्केल के उतरते ही मोदी ने ट्वीट किया, 'नमस्ते चांसलर मर्केल। आपका और आपके शिष्टमंडल का जोरदार स्वागत। मैं सार्थक वार्ता और भारत-जर्मनी संबंधों के मजबूत होने की उम्मीद करता हूं।'


जयंत सिन्हा ने किया स्वागत
दिल्ली में हवाई अड्डे पर मर्केल की अगवानी वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने की। जर्मन चांसलर के साथ कई कैबिनेट मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों का बड़ा शिष्टमंडल भी आया है।

मोदी और मर्केल के बीच होने वाली वार्ता द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए रक्षा, सुरक्षा, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, रेलवे, जल और कूड़ा प्रबंधन, शहरी विकास तथा कृषि क्षेत्र पर केंद्रित होने की संभावना है। भारत और जर्मनी 2001 से रणनीतिक साझेदार हैं।

प्रतिनिधिमंडल में बड़ी कंपनियों के सीईओ
जर्मन चांसलर के साथ शीर्ष जर्मन कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) का एक प्रतिनिधिमंडल भी है। योजनागत निवेश करने में जर्मन उद्योगों के सामने पेश आने वाली समस्याओं से मर्केल के अवगत कराए जाने की उम्मीद है।

दोनों नेताओं द्वारा जलवायु परिवर्तन जैसे साझा चिंता के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किए जाने की भी संभावना है। यूरोपीय संघ में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत में सातवां बड़ा विदेशी निवेशक है।

दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कुल आदान-प्रदान पिछले साल करीब 15.96 अरब यूरो का था जो 2013 में दर्ज किए गए 16.10 अरब यूरो के स्तर से 1.14 अरब यूरो कम है। भारत से जर्मनी को निर्यात आंशिक रूप से बढ़ा है। यह 2014 में 7.03 अरब यूरो था, जबकि इसका जर्मन आयात पिछले साल के 9.19 अरब यूरो से घटकर 8.92 अरब यूरो हो गया है।

होंगे कई समझौतों पर हस्ताक्षर
1,600 से अधिक भारत-जर्मन 'कलैबरेशन' और करीब 600 भारत-जर्मन संयुक्त उद्यम फिलहाल संचालित हो रहे हैं। मर्केल की यात्रा से पहले जर्मन राजदूत मार्टिन नेय ने कहा कि तीसरे अंतर सरकारी विचार विमर्श से अहम नतीजे मिलने की उम्मीद है और दोनों देशों के बीच काफी संख्या में समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे।

जर्मन चांसलर का सोमवार को राष्ट्रपति भवन में परंपरागत स्वागत किया जाएगा। वह महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने राजघाट भी जाएंगी। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले मोदी और मर्केल की बैठकें होंगी। मर्केल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात करेंगी।

बेंगलुरु जांएंगे पीएम मोदी और मर्केल
मर्केल और मोदी छह अक्टूबर को बेंगलुरु जाएंगे, जहां दोनों लोग एक कारोबारी कार्यक्रम में शरीक होंगे जिसकी मेजबानी नासकॉम और फ्रॉनहोपर इंस्टीट्यूट कर रहे हैं। मोदी और मर्केल के कार्यक्रम को संबोधित करने का कार्यक्रम है। वे भारत और जर्मनी के कारोबारी नेताओं के साथ दोपहर के भोज में भी शरीक होंगे।

दोनों नेता जर्मन कंपनी मेसर्स बोश स्थित नवोन्मेष एवं कौशल केंद्रों पर भी जाएंगे। चांसलर के साथ विदेश मंत्री फ्रैंक वाल्टर स्टेनमीयर, खाद्य एवं कृषि मंत्री क्रिश्चन स्मिड, शिक्षा मंत्री जोहन्ना वंका और आर्थिक सहयोग एवं विकास मंत्री जर्ड मुलर भी हैं।

कई अन्य संघीय मंत्री अंतर सरकारी विचार विमर्श में राज्य मंत्रियों और राज्य सचिवों का प्रतिनिधित्व करेंगे। राजदूत नेय ने पिछले हफ्ते एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उनका मानना है कि भारत-जर्मन अंतरसरकारी परामर्श शानदार रूप से सफल होगा।

जर्मन भाषा का मुद्दा भी हो सकता है हल
मर्केल की यात्रा के दौरान दोनों देशों द्वारा जर्मन भाषा के मुद्दे का हल किए जाने की संभावना है क्योंकि समझा जाता है कि उन्होंने इस सिलसिले में अहम प्रगति की है।

सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच व्यापक समझ के तहत भारत तीन भाषा की अपनी नीति को कायम रखते हुए जर्मन को अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाना जारी रखेगा, जर्मनी अपने शैक्षणिक संस्थानों में संस्कृत सहित भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगा।

केंद्रीय विद्यालय संगठन और गोथ इंस्टीट्यूट के बीच 2011 में हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र के आधार पर केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में जर्मन भाषा की पढ़ाई शुरू की गई थी।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले साल नवंबर में संस्कृत के विकल्प के रूप में जर्मन की पढ़ाई बंद करने का फैसला किया था और इस फैसले को राष्ट्रीय हित में बताया था।