यह ख़बर 28 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

आंध्र प्रदेश में में लागू होगा राष्ट्रपति शासन

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला किया। आंध्र प्रदेश का विभाजन कर पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का निर्णय लिया जा चुका है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा को अस्थाई तौर पर भंग करने का भी फैसला किया गया।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने संसद द्वारा तेलंगाना विधेयक को पारित करने का विरोध जताते हुए बीते 19 फरवरी को मुख्यमंत्री पद और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हा ने रेड्डी का इस्तीफा स्वीकार करते हुए नए मुख्यमंत्री के चयन तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहने का आग्रह किया था।

आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की राज्यपाल की सिफारिश के बाद कांग्रेस ने लगभग एक सप्ताह तक तेलंगाना और सीमांध्र के कांग्रेस नेताओं से सलाह-मशवरा कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया।

यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के पार्टी प्रमुख और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ गुरुवार को बैठक करने के बाद किया गया।

इससे पूर्व पहली और आखिरी बार आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन 1973 में लागू किया गया था, जब राज्य में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी। 'जय आंध्र' आंदोलन के हिंसात्मक रूप लेने के कारण केंद्र को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए बाध्य होना पड़ा था और राज्य में 11 जनवरी 1973 से 10 दिसंबर 1973 राष्ट्रपति शासन लागू रहा था।

तेलंगाना और सीमांध्र के कांग्रेस नेताओं के एक धड़े ने हालांकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने का विरोध किया है, लेकिन पार्टी हाईकमान ने इस दृष्टिकोण के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने का फैसला किया कि नई सरकार के पास चुनाव आचार संहिता के नजरिए से कोई भी फैसला लेने के लिए समय नहीं होगा।

निर्वाचन आयोग अगले सप्ताह की शुरुआत में आम चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। इधर, आंध्र प्रदेश में राज्य विधान सभा के चुनाव होने भी शेष हैं, लेकिन अभी तक यह तय नहीं है कि आम चुनाव अविभाजित राज्य में होंगे या दो पृथक राज्यों में अलग अलग आयोजित किए जाएंगे।

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संसद ने पिछले सप्ताह ही आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, 2013 पारित कर इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेज दिया है।