यह ख़बर 16 अक्टूबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार कारगर नहीं'

खास बातें

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त कुरैशी ने कहा कि अच्छा काम नहीं करने वाले सांसदों को वापस बुलाने का अधिकार भारत जैसे बड़े देश में कारगर नहीं हो सकता।
नई दिल्ली:

मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने रविवार को कहा कि अच्छा काम नहीं करने वाले सांसदों को वापस बुलाने का अधिकार भारत जैसे बड़े देश में कारगर नहीं हो सकता। उनकी प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा अन्ना हजारे को इस आशय का पत्र लिखने के बाद आई है कि सरकार चुनाव सुधारों के लिए कदम उठाएगी। कुरैशी ने कहा, "हमारा मुख्य डर यह है कि यदि हम सभी उम्मीदवारों को नकारना शुरू कर देते हैं तो हमें फिर से चुनाव कराना होगा, जबकि लोग पहले ही चुनाव में होने वाले खर्च के बोझ तले दबे हैं।" जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार, जो बहुत से विकसित देशों में है, का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इससे देश में 'अस्थिरता' आएगी, खासकर उन क्षेत्रों में जो पहले से ही अलग-थलग पड़े हैं। उम्मीदवारों को खारिज करने के अधिकार के सम्बंध में कुरैशी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने हालांकि मतदाताओं का असंतोष जाहिर करने के लिए ईवीएम में 49-ओ बटन शामिल करने का समर्थन किया है, लेकिन इस प्रस्ताव से अक्सर चुनाव की सम्भावना बनी रहेगी। नियमानुसार, मतदाता यदि मतदान नहीं करने का फैसला लेता है तो वह 49-ओ का चयन कर सकता है। अन्ना हजारे ने यह कहते हुए इसका समर्थन किया है कि चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च करने वाले उम्मीदवारों को यदि खारिज किया जाता है तो वे इससे हतोत्साहित होंगे। कुरैशी ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर वह इस महीने अन्ना हजारे से मिलेंगे।


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