यह ख़बर 01 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

केंद्र ने राज्यों से अक्षम नौकरशाहों को रिटायर करने को कहा

खास बातें

  • प्रशासन में उच्चस्तरीय दक्षता बरकरार रखने के लिए केंद्र ने सभी राज्यों से अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा करने को कहा है, ताकि अक्षम अधिकारियों को सेवानिवृत्त किया जा सके।
नई दिल्ली:

प्रशासन में उच्चस्तरीय दक्षता बरकरार रखने के लिए केंद्र ने सभी राज्यों से अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा करने को कहा है, ताकि अक्षम अधिकारियों को सेवानिवृत्त किया जा सके।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक संदेश में सेवा में कम से कम 15 साल पूरा करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा करने को कहा है।

विभाग में अतिरिक्त सचिव डॉ एसके सरकार ने कहा, अखिल भारतीय सेवा के सदस्य, जिन्होंने विशिष्ट सेवा के 15 साल पूरे किए हों या विशिष्ट सेवा के 25 साल पूरे किए हों या 50 वर्ष के हो चुके हों, निर्विवाद रूप से एक वरिष्ठ प्रशासनिक पद ग्रहण करने के लिए ढूंढे जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि वरिष्ठ स्तर पर तैनात अधिकारी केवल मूकदर्शक बने रहे। उनको पता होना चाहिए कि 'पीटर सिद्धांत' लागू हो सकता है।  'पीटर सिद्धांत' मनोविज्ञानी लारेंज जे पीटर और रेमंड हल ने 1969 में दिया था। इसके तहत संगठन में किसी कर्मचारी की प्रोन्नति सफलता, योगदान और गुणों पर आधारित होने के साथ ही ज्यादा क्षमता के साथ काम करने को लेकर भी थी।

जनवरी में केंद्र ने अखिल भारतीय सेवा नियम 16 (तीन) में संशोधन किया था, जिसमें अर्हक सेवा के 30 वर्ष पूरा होने के बाद ही प्रदर्शन की समीक्षा की अनुमति थी। नए नियम में सरकार को जनहित में कम से कम 15 साल नौकरी कर चुके ऐसे अधिकारियों को सेवानिवृत्त करने की शक्ति है। अधिकारी के सेवा में 25 साल पूरा करने या 50 वर्ष की उम्र होने पर सरकार एक बार फिर इस तरह की समीक्षा कर सकती है।

निर्देश में कहा गया है कि कभी-कभार ऐसा पाया जाता है कि अखिल भारतीय सेवा के कुछ सदस्य, जिस पद पर सदस्य को तैनात किया गया है 'यात्री' बनकर रह जाते हैं। डीओपीटी ने वार्षिक गोपनीयता रिपोर्ट या प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट में 'औसत' मूल्यांकन उल्लेख या पूरे ग्रेड के बारे में अधिकारियों की कार्यक्षमता पर भी संदेह जाहिर किया है।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को जारी परिपत्र में डीओपीटी ने कहा है कि सदस्य की अखिल भारतीय सेवा औसत करार दिया जाना प्रशंसात्मक नहीं है। हालांकि यह प्रतिकूल टिप्पणी नहीं हो सकती, फिर भी उनके कार्य या आचरण का प्रतिबिंब है।

इसमें कहा गया कि बिना किसी उल्लेखनीय उपलब्धि के पांच-सात साल तक योग्य या संतोषप्रद टिप्पणी से सदस्य के ठहर जाने का सूचक होगा। इसी प्रकार, यह पाया गया है कि कुछ मामलों में अखिल भारतीय सेवा के सदस्य को निष्ठा के बारे में अस्पष्ट या गोलमोल प्रमाणपत्र दिया जाता है। इस तरह की एंट्री या टिप्पणी से माना जाएगा कि रिपोर्टिंग या रिव्यूइंग अथॉरिटी को सदस्य की निष्ठा को लेकर कुछ संदेह रहा।

इसमें कहा गया है ऐसे सभी मामलों में सरकार के लिए उपयुक्त होगा कि मामले के परीक्षण के लिए नियम एआईएस (डीसीआरबी) नियम, 1958, 16 (तीन) लागू हो। साथ ही, सेवा में 16 साल पूरे कर चुके या अर्हक सेवा से ज्यादा समय गुजार चुके ऐसे अधिकारी जिनकी समीक्षा न हुई हो।

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पत्र में कहा गया है, इसलिए राज्य सरकार द्वारा ऐसे अधिकारियों की समीक्षा करवाए जाने की जरूरत है, जो अर्हक सेवा के 16-23 साल पूरे कर चुके हों और संबंधित राज्य सरकार की सिफारिशों को पत्र जारी होने के छह माह के भीतर आवश्यक कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जा सकता है।