केंद्र सरकार ने कहा, कोर्ट यह फैसला नहीं कर सकता कि एलओसी पर कौन फायर करेगा

केंद्र सरकार ने कहा, कोर्ट यह फैसला नहीं कर सकता कि एलओसी पर कौन फायर करेगा

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • मणिपुर में सेना द्वारा फर्जी एनकाउंटर मामले पर याचिका की सुनवाई
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से नहीं कराई जा सकती जांच
  • सेना पर करीब 1500 लोगों का फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप
नई दिल्ली:

मणिपुर में सेना द्वारा फर्जी एनकाउंटर मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एलओसी पर कौन फायर करेगा, यह कोर्ट फैसला नहीं कर सकता. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को संसद द्वारा दिए गए अधिकारों से ज्यादा अधिकार देना एक तरह से न्यायिक कानून बनाना होगा.

केंद्र की ओर से  एटार्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने यह दलील उस मुद्दे पर दी जिसमें कहा गया कि एनकाउंटरों की जांच एसआईटी से कराई जाए या फिर एनएचआरसी से. एजी ने कहा कि मणिपुर एनकाउंटर की जांच  मानवाधिकार आयोग से नहीं कराई जा सकती और ना ही उसकी सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य किया जा सकता है.

वहीं मानवाधिकार आयोग की ओर से कहा गया कि वह एनकाउंटर की जांच करने को तैयार है भले ही उसके पास लोगों की कमी है. साथ ही यह भी कहा गया कि उसकी सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की 26 और 27 सितंबर को सुनवाई करेगा.

मणिपुर में सेना द्वारा फर्जी एनकाउंटर मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने  फैसला देते हुए कहा था कि अगर 'आफ्सपा' लगा है और इलाका डिस्टर्ब एरिया के तहत क्लासीफाइड भी है तो भी सेना या पुलिस अत्याधिक फोर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते. कोर्ट ने यह भी कहा था कि क्रिमिनल कोर्ट को एनकाउंटर मामलों के ट्रायल का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना और पुलिस के ज्यादा फोर्स और एनकाउंटरों की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. कौन सी एजेंसी यह जांच करेगी, यह कोर्ट बाद में तय करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के 1528 एनकाउंटरों की विस्तृत जानकारी भी मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 'अमाइक्स क्यूरी' से उन सब 62 मामलों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी जिन्हें जस्टिस संतोष हेगड़े या एनएचआरसी ने फर्जी बताया था. कोर्ट ने कहा था सेना हर केस में कोर्ट आफ इंक्वायरी करने को स्वतंत्र है.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एनकाउंटर मामलों की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की गई थी. सेना पर 2000 से 2012 के बीच करीब 1500 लोगों का फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप है. हालांकि सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई के तहत यह एनकाउंटर किए थे. यह कार्रवाई सेना को विदेशी ताकतों को रोकने और देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए करनी पड़ी. वर्ष 2013 में बनाई गई जस्टिस संतोष हेगड़े की कमेटी ने 1500 एनकाउंटरों की जांच की सिफारिश की थी. केंद्र ने इस रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने करीब आठ मामलो की जांच के आदेश दिए थे.


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