यह ख़बर 18 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

टीम अन्ना के लिए अभी असली लड़ाई बाकी

खास बातें

  • शुक्रवार से अन्ना रामलीला मैदान में होंगे। उनके अनशन को शानदार समर्थन मिला है, लेकिन जन लोकपाल बिल पर सवाल अभी बाकी हैं।
New Delhi:

शुक्रवार से अन्ना हजारे रामलीला मैदान में दिखेंगे। यह साफ दिख रहा है कि उनको व्यापक जनसमर्थन हासिल है, लेकिन यहां से उनकी चुनौतियां काफी बड़ी हो जाती हैं। तीन दिन पूरी ठसक के साथ तिहाड़ में अनशन करते रहे अन्ना...तीन दिन तिहाड़ के सामने खड़ा हुजूम उनके लिए नारा लगाता रहा और दिल्ली पुलिस के हाथ−पांव फूल गए। पहले पुलिस शर्तें थोप रही थी, बाद में सारी शर्तें मानने लगी। अब अन्ना को अनशन के लिए रामलीला मैदान दे दिया गया है। दो हफ्ते की मोहलत भी दे दी गई है। लेकिन टीम अन्ना के लिए चुनौती यहां से खत्म नहीं, शुरू होती है। उनके अनशन को शानदार जनसमर्थन मिला है, लेकिन लोकपाल पर सवाल बाकी हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक बड़ा तबका, जिसमें अरुणा रॉय और निखिल डे जैसे लोग शामिल हैं, जन लोकपाल के हक में नहीं हैं। फिलहाल लोकपाल बिल संसदीय समिति के पास है। यानी अन्ना की ये मांग पूरी नहीं हो सकती कि बिल इसी सत्र में पास हो। फिर लगता नहीं कि न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में रखने की भी उनकी मांग पूरी होगी। तो टीम अन्ना क्या करेगी? क्या अनशन को इतना लंबा खींचेगी कि या तो अन्ना हजारे संकट में पड़ जाएं या फिर संसदीय परंपराओं को ताक पर रखना पड़े। लेकिन कहा जा रहा है कि टीम अन्ना को भी यह एहसास है और वह आगे लचीलापन दिखा सकती है। हालांकि अब तक उसका रुख बेहद सख्त रहा है। एक तरह से गेंद अब उसके पाले में है और उसे तय करना है कि लोकपाल पर अपने आंदोलन को वह कौन सा मुकाम देगी।


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