यह ख़बर 15 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

चांडी का केरल का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ

खास बातें

  • ओमन चांडी का केरल का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रमेश चेन्निथला शीर्ष पद की दौड़ से हट गए हैं।
तिरुवनंतपुरम:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमन चांडी का केरल का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रमेश चेन्निथला शीर्ष पद की दौड़ से हट गए हैं। केरल प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि चांडी ही यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की सरकार का नेतृत्व करेंगे। कांग्रेस विधायक दल की रविवार को बैठक होने वाली है, जिसमें दल के नेता के बारे में आधिकारिक घोषणा पार्टी के पर्यवेक्षक मोहसिना किदवई और मधुसूदन मिस्त्री करेंगे। पार्टी सूत्रों ने कहा कि चांडी कोट्टायम जिले की पुथुपल्ली सीट से लगातार 10वीं बार निर्वाचित हुए हैं। वह कांग्रेस के सहयोगी दलों के कुछ नेताओं के साथ मिलकर इस सप्ताह सरकार बनाएंगे। हालांकि, चेन्निथला ने पूर्व में संकेत दिए थे कि वह शीर्ष पद में दिलचस्पी रखते हैं, लेकिन चांडी की वरिष्ठता, उनके प्रशासनिक अनुभव और गठबंधन चलाने की उनकी क्षमता ने उन्हें सर्वसम्मति वाली पसंद बना दिया है। संवाददाताओं से बातचीत में चेन्निथला ने कहा कि वह सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन बतौर केरल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी को मजबूत देने और उसे एकजुट बनाये रखने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हरीप्पड़ से जीते चेन्निथला ने कहा, मेरे विचार से ओमान चांडी को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से नेता चुना जाना चाहिए। इस पद के लिए कोई चुनाव नहीं होगा। पूर्व मुख्यमंत्री 67 वर्षीय चांडी भी मोर्चे के सहयोगी दलों के विश्वास प्राप्त नेता हैं। सरकार चलाने के लिए मोर्चे के सहयोगी काफी अहम हैं, क्योंकि उसे 140 सदस्यीय विधानसभा में आधी से महज दो ही सीटें अधिक मिली हैं। कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद यूडीएफ नेताओं की एक बैठक होगी, जिसमें कांग्रेस नेता को औपचारिक तौर पर गठबंधन के मुख्य नेता के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इस गठबंधन को 72 सीटें मिली हैं और उसने 68 सीटें जीतने वाले एलडीएफ को सत्ता से बाहर कर दिया है। मंत्री पदों की संख्या और विभागों के बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के साथ चर्चा होने के बाद कैबिनेट को बाद में विस्तार दिया जाएगा। काफी कम अंतर से बहुमत हासिल करने के चलते कांग्रेस नीत मोर्चे को टिकाऊ और प्रभावी छवि प्रदान करना महत्वपूर्ण है। लिहाजा, यूडीएफ में सोच यह है कि मंत्रिमंडल के गठन में देर करना विवेकपूर्ण नहीं होगा। संकेत यह हैं कि 20 सदस्यीय मंत्रिमंडल में मोर्चे के मुख्य सहयोगी दल को मुख्यमंत्री सहित 10 सीटें मिलेंगी। मोर्चे के दूसरे सबसे बड़े दल को चार और केरल कांग्रेस (एम) को तीन मंत्री पद मिलेंगे। एक विधायक वाली केरल कांग्रेस (जैकब), केरल कांग्रेस (बी) और आरएसपी (बी) को भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है, क्योंकि उनका समर्थन सरकार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। निर्वतमान मुख्यमंत्री और माकपा के कद्दावर नेता वीएस अच्युतानंदन ने जनादेश स्वीकार करते हुए शनिवार को इस्तीफा दे दिया था।


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