यह ख़बर 17 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

विवाह कानून में बदलाव संभव : पति की पैतृक संपत्ति पर मिलेगा पत्नी को हक

खास बातें

  • विवाह कानूनों को अब और महिला उन्मुखी बनाया जाएगा और सरकार ने इस पर मंत्री समूह (जीओम) की सिफारिशों की एक शृंखला को मंजूरी दे दी है जिसमें तलाक होने पर पति की पैतृक संपत्ति में से महिला को पर्याप्त मुआवजे का प्रावधान शामिल है।
नई दिल्ली:

विवाह कानूनों को अब और महिला उन्मुखी बनाया जाएगा और सरकार ने इस पर मंत्री समूह (जीओम) की सिफारिशों की एक शृंखला को मंजूरी दे दी है जिसमें तलाक होने पर पति की पैतृक संपत्ति में से महिला को पर्याप्त मुआवजे का प्रावधान शामिल है।

सूत्रों ने यहां बताया कि कैबिनेट ने विवाह कानून (संशोधन) विधेयक पर मंत्री समूह की सिफारिशों को बुधवार को मंजूरी दे दी।

मंत्री समूह को जिन प्रमुख मुद्दों पर फैसला करने को कहा गया था उनमें यह भी शामिल था कि क्या कोई अदालत ‘विवाह संबंधों के बचने की कोई गुंजाइश नहीं होने पर तलाक के मामले में पति की पैतृक संपत्ति में से किसी महिला के लिए ‘पर्याप्त मुआवजा’ तय कर सकती है।

विवाह कानून (संशोधन) विधेयक पर फैसला करने के लिए हाल ही में गठित मंत्री समूह को इस पर भी विमर्श करने के लिए कहा गया था कि अगर परस्पर सहमति के साथ तलाक के लिए पति या पत्नी में से कोई एक पक्ष दोबारा ‘संयुक्त आवेदन’ दायर नहीं करता है तो क्या कोई न्यायाधीश तलाक प्रदान करने में अपने विवेकाधिकार का उपयोग कर सकता है।

विधेयक में पति के खुद से हासिल की गई संपत्ति में पत्नी की हिस्सेदारी का प्रावधान है, रक्षामंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में बने मंत्री समूह ने इसके एक उपबंध ‘13 एफ’ पर चर्चा की। यह उपबंध कहता है कि अगर पैतृक संपत्ति का बंटवारा नहीं किया जा सकता है तो पति की हिस्सेदारी की गणना कर उसमें से महिला को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। मुआवजे की रकम तलाक मामले की सुनवाई कर रही अदालत तय कर सकती है।

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मंत्री समूह ने परस्पर सहमति से संयुक्त याचिका के मार्फत तलाक चाहने वाले जोड़ों के लिए छह महीने का अनिवार्य प्रतीक्षा काल खत्म करने का फैसला करने का अधिकार अदालतों को सौंपने के मुद्दे पर भी विचार किया।