यह ख़बर 08 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

वाड्रा-डीएलएफ लेनदेन पर कार्रवाई से सरकार का इनकार

खास बातें

  • केंद्र सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच फायदे के लिए लेनदेन मामले पर कार्रवाई से इनकार कर दिया। कांग्रेस ने भी वाड्रा का बचाव करते हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन के लोगों को चुनौती दी कि यदि उनके पास आरोपों को साबित करने के लिए दस्तावेज हैं तो कानूनी का
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच फायदे के लिए लेनदेन मामले पर कार्रवाई से इनकार कर दिया। कांग्रेस ने भी वाड्रा का बचाव करते हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन के लोगों को चुनौती दी कि यदि उनके पास आरोपों को साबित करने के लिए दस्तावेज हैं तो कानूनी कार्रवाई करें। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस इस मामले की जांच कराने से भाग रही है।

केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोमवार को कहा कि जब तक आरोप दायर नहीं किया जाता, केंद्र सरकार दोनों निजी पक्षों के बीच हुए निजी सौदे की जांच नहीं कर सकती।

इकॉनॉमिक एडिटर्स कांफ्रेंस के वार्षिक सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में चिदम्बरम ने कहा, "हम फायदे के लिए लेनदेन का विशिष्ट आरोप मिले बगैर निजी सौदे की जांच नहीं कर सकते।"

चिदम्बरम ने कहा कि कम्पनी तथा व्यक्तिगत तौर पर बयान दिए गए हैं और सरकार लेनदेन के आरोपों के आधार पर जांच नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर दो व्यक्तियों के बीच लेनदेन को लेकर सवाल नहीं उठाए जा सकते।"

राजनीतिक पार्टी गठित करने की घोषणा कर चुके अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने पिछले सप्ताह आरोप लगाया था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा की कम्पनियों को डीएलएफ ने कौड़ियों के दाम प्रोपर्टी व भूमि बेची।

चिदम्बरम ने इस सम्बंध में कहा कि केंद्र सरकार के पास यह प्रमाणित करने के लिए कोई तथ्य नहीं हैं कि डीएलएफ तथा वाड्रा के बीच हुए समझौते सही थे या गलत? उन्होंने कहा, "मुझे नहीं मालूम कि आरोप सही हैं या गलत। इस वक्त मैं केवल इतना कह सकता हूं कि ये आरोप दो निजी उद्यमियों के बीच लेनदेन से सम्बंधित हैं।"
कांग्रेस ने कहा कि केजरीवाल के पास रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं हैं,
जिससे यह साबित हो सके कि वाड्रा ने डीएलएफ से फायदा लिया हो।

कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "क्या वह किसी एजेंसी के पास गए हैं। कोई प्राथमिकी दर्ज कराई है। जांच तभी होगी, जब कोई दस्तावेज हों। मीडिया में दस्तावेज दिखाकर आप किसी को दोषी नहीं ठहरा सकते। सच्चाई यह है कि उनके पास अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है।"

अल्वी ने इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास करार देते हुए कहा, "कई एजेंसियां हैं। मीडिया में जाने की बजाए आप अदालत में भी जा सकते हैं। वे सिर्फ सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसा कर रहे हैं।"

भाजपा ने इस पर कहा कि रॉबर्ट वाड्रा की कथित आय से अधिक सम्पत्ति मामले की जांच कराने से कांग्रेस दूर भाग रही है।

भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा कि कांग्रेस सच्चाई छिपाना चाहती है इसलिए आरोपों की जांच नहीं कराना चाहती। उन्होंने कहा, "कांग्रेस जांच से भाग रही है। तभी तो केंद्र सरकार के मंत्री आज कह रहे हैं कि रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कोई जांच नहीं होगी।"

सीतारमन ने कहा, "हर आरोप का जवाब आना चाहिए। सरकार को अपनी बची-खुची विश्वसनीयता बनाए रखनी चाहिए। बचाव मत करो और जांच शुरू करो।"

इस बीच, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मांग की कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर उनकी कंपनियों के व्यावसायिक लेनदेन की आधिकरिक जांच की जाए।

माकपा ने सोमवार को कहा, "वाड्रा की कंपनियों के व्यावसायिक लेनदेन को लेकर कई तरह के आरोप लगे हैं। कंपनी की वित्तीय स्थिति और रियल एस्टेट क्षेत्र में उसकी गतिविधियों के बारे में अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है।"

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पार्टी ने कहा कि वह चाहती है कि इस मामले की जांच कराई जाए तभी सच्चाई सामने आ सकेगी।