यह ख़बर 02 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पैंगोंग झील में भारतीय जलक्षेत्र में घुसी चीनी सेना

सितंबर में लद्दाख के चुमार में भारतीय और चीनी सैनिक तीन हफ्ते तक आमने-सामने डटे रहे थे

लेह / नई दिल्ली:

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने हाल ही में भारतीय सीमा क्षेत्र में जल और थल दो मार्गों से घुसपैठ की। उसने पैंगोंग झील में भारतीय जलसीमा में अपने सैनिक भेजने के साथ-साथ इसी क्षेत्र में जमीनी रास्ते से भी भारतीय सीमा में पांच किलोमीटर की दूरी तक अपने सैनिक भेज दिए।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों से मिली खबरों के अनुसार, चीनी नौकाएं 22 अक्टूबर को लद्दाख के अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके की पैंगोंग झील में भारतीय जलसीमा में प्रवेश कर गईं।

सूत्रों ने कहा कि इस घुसपैठ के ठीक बाद चीनी सैनिक पैंगोंग झील के साथ बनी सड़क के रास्ते दाखिल हुए। यह क्षेत्र लेह से 168 किलोमीटर की दूरी पर पूर्वी लद्दाख में पेंगोंग झील के उत्तरी तट पर है।

हालांकि आईटीबीपी के चौकस सैनिकों ने चीनी सैनिकों की गतिविधि को देख लिया और उन्हें झील में उसी काल्पनिक रेखा पर रोक दिया, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा माना जाता है। आईटीबीपी के सैनिकों ने पर्वतीय क्षेत्र में चलने वाले वाहनों पर सवार उन चीनी सैनिकों को भी रोक दिया, जो सड़क के रास्ते वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करने का प्रयास कर रहे थे।

दोनों पक्षों ने क्षेत्र पर अपने अधिकार का दावा करते हुए एक-दूसरे को बैनर दिखाए और फिर दोनों ओर के सैनिक आमने-सामने की स्थिति में आ गए। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने न तो चीनी सैनिकों को उनकी नौकाएं आगे बढ़ाने दीं और न ही उन्हें सड़क मार्ग पर एक इंच भी आगे बढ़ने दिया। इसके चलते चीनी सैनिकों को वापस लौटना पड़ा।

चीनी सैनिक इस इलाके के 'फिंगर 4' क्षेत्र तक प्रवेश कर गए थे और यहां से उन्हें वापस भेजा गया। यह क्षेत्र भारत और चीन के बीच विवाद का विषय बना हुआ है, क्योंकि दोनों ही देश इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते हैं। सूत्रों ने कहा कि जब भारत वार्ताओं के दौरान इस क्षेत्र पर अपने दावे के संबंध में अपना पक्ष रख रहा था, तब चीनी सेना ने यहां एक विशेष तौर पर पक्की सड़क का निर्माण कर दिया और दावा किया कि यह क्षेत्र के अक्साई चिन क्षेत्र का हिस्सा है।

सूत्रों ने कहा कि चीन ने 'फिंगर 4' क्षेत्र तक एक सड़क का निर्माण किया था। यह इलाका सीरी जप क्षेत्र के तहत आता है और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पांच किलोमीटर भीतर है। एक ही समय में भारतीय जल क्षेत्र में घुसने को चीन सेना द्वारा इलाके की निगरानी में लगे भारतीय सैनिकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने के कदम के तौर पर देखा रहा है।

चीनी गश्ती दल झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर अक्सर आते रहे हैं। झील का 45 किलोमीटर इलाका भारतीय क्षेत्र में, जबकि 90 किलोमीटर इलाका चीनी क्षेत्र में है। भारतीय सैनिकों के पास अमेरिका से खरीदे गए तेज रफ्तार वाले इंटरसेप्टर बोट हैं, जिसमें 15 सैनिक सवार हो सकते हैं। इन नावों में रडार, इंफ्रा-रेड और जीपीएस प्रणाली लगी है। ये नाव चीनी पोतों की तरह की सक्षम हैं और इनका इस्तेमाल टोही एवं गश्ती करने में किया जाता है। झील के किनारों पर हालात हमेशा अस्थिर बने रहते हैं।

पिछले साल मई में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के देप्सांग मैदानी इलाके में तीन हफ्ते तक चले गतिरोध के बाद भारतीय सेना गश्ती दल ने कई बार चीनी सैनिकों को रोका है।

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