यह ख़बर 06 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

विपक्ष के आक्रमक तेवर बरकरार, नहीं चल सकी संसद

खास बातें

  • भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाए विपक्ष के हंगामे के कारण सोमवार को भी संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी।
नई दिल्ली:

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाए विपक्ष के हंगामे के कारण सोमवार को भी संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। सरकार ने हालांकि खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पेश किया और इस पर चर्चा तथा इसे पारित कराने की कोशिश की, लेकिन यह विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे की भेंट चढ़ गया।

मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार तथा रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के इस्तीफे की मांग पर अड़ी है, जिसके कारण सोमवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

हंगामे के बीच ही लोकसभा में केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया। इसे केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का महत्वपूर्ण विधेयक करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे देश की 67 प्रतिशत आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न हासिल करने का अधिकार मिल जाएगा।

थॉमस ने यह भी कहा कि इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद लाभार्थियों को प्रतिमाह तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल, दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं तथा एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मोटे अनाज मिलेंगे। लेकिन भाजपा, समाजवादी पार्टी (सपा) तथा अकाली दल की विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामे के कारण सदन में इस विधेयक पर चर्चा नहीं हो पाई।

भाजपा ने प्रधानमंत्री तथा अन्य केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे की मांग उठाई तो अकाली दल ने 1984 के दंगे की विशेष जांच कराने और समाजवादी पार्टी (सपा) ने मुसलमानों पर सच्चार समिति की अनुशंसाएं लागू करने की मांग की।

इस बीच, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, "सरकार जिस तरह से खाद्य सुरक्षा विधेयक को आज (सोमवार) पारित कराने की कोशिश कर रही थी, वह मंत्रियों के भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने की कोशिश थी। हम खाद्य सुरक्षा तथा भूमि अधिग्रहण जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा चाहते हैं। लेकिन ऐसे में जबकि संसद में प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों के इस्तीफे की मांग हो रही है और स्थिति तनावपूर्ण है, हंगामे के दौरान विधेयक को पारित कराने की कोशिश निंदनीय है। यदि सरकार विधेयकों को हंगामे के बीच पारित कराने की कोशिश करती है तो विपक्ष इसका विरोध करेगा।"

कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने हालांकि इस विधेयक के समर्थन में भी आवाज उठाई। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य दिनेश त्रिवेदी ने इसे 'महत्वपूर्ण विधेयक' करार देते हुए कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम इस विधेयक पर चर्चा नहीं कर सकते।"

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सदस्य संजय नाईक ने कहा, "हमारी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है।"

कांग्रेस के सदस्य संजय निरुपम ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि वे गरीबों को लेकर गंभीर नहीं हैं, जिन्हें इस विधेयक से फायदा होगा।

इस बीच, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जीपीसी) को रिपोर्ट पेश करने के लिए दी गई समयावधि को लोकसभा ने सोमवार को बढ़ाकर मानसून सत्र तक कर दिया। समिति के अध्यक्ष पीसी चाको ने दोपहर तीन बजे इस आशय का प्रस्ताव रखा था, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित अन्य सदस्यों से चाको ने इस पर चर्चा की थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।

समिति को अपनी रिपोर्ट बजट सत्र में ही पेश करनी थी, जो 10 मई को समाप्त होने वाला है। लेकिन मतभेद के कारण यह संभव नहीं हो सका।

इससे पहले विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक, फिर दोपहर दो बजे तक, इसके बाद अपराह्न तीन बजे तक और अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

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राज्यसभा में भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा, जिसके कारण सदन की कार्यवाही पहले दोपहर दो बजे तक, फिर दोपहर दो बजे तक और अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।