कोयला घोटाला : 'ब्लॉक आवंटन का फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री ने लिया था'

नई दिल्ली:

पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारी नारायण राव ने शुक्रवार को कोयला घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम घसीटते हुए विशेष अदालत में कहा कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन का फैसला उनके (मनमोहन के) कार्यालय द्वारा लिया गया था, उस समय उनके पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था। राव इस मामले में खुद एक आरोपी हैं।

राव की ओर से पेश अधिवक्ता ने राव के लिए जमानत की मांग करते हुए विशेष सीबीआई जज भरत पराशर के समक्ष कहा कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था और उनके मुवक्किल का नवीन जिंदल समूह की कंपनियों को झारखंड में अमरकोंडा मुर्गदंगल कोयला ब्लॉक आवंटन से कोई लेना-देना नहीं है।

राव के वकील ने कहा, ‘‘आवंटन के बारे में अंतिम फैसला कोयला मंत्री ने लिया था, जो उस समय प्रधानमंत्री थे। मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है।’’ उन्होंने अदालत में कहा, ‘‘कोयला राज्य मंत्री के रूप में राव ने सिर्फ नोट्स को आगे बढ़ाया। फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा लिया गया, मेरे द्वारा नहीं।’’

इसी तरह पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता ने जमानत मांगते हुए कहा कि जांच समिति के चेयरमैन के रूप में उन्होंने सिर्फ सिफारिशों को कोयला मंत्री के पास भेजा।

गुप्ता के वकील ने कहा, ‘‘जांच समिति के चेयरमैन के रूप में गुप्ता को सिर्फ सिफारिशें कोयला मंत्री को भेजनी थीं, जो उस समय प्रधानमंत्री थे। जांच समिति सिर्फ सिफारिश भेजने वाला निकाय है।’’

दस व्यक्तिगत आरोपियों की जमानत याचिका पर बहस की सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके व इतनी ही राशि की गारंटी के बाद जमानत दे दी। कांग्रेस नेता नवीन जिंदल, राव, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा तथा सात अन्य को अदालत ने जमानत दी।

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विशेष अदालत ने इससे पहले मनमोहन सिंह को कोयला आवंटन घोटाले में आरोपी के रूप में समन किया था। बाद में इस समन आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी।