किराये की कोख का वाणिज्यिक स्वरूप बन गया है दो अरब डॉलर का अवैध धंधा : सरकार

किराये की कोख का वाणिज्यिक स्वरूप बन गया है दो अरब डॉलर का अवैध धंधा : सरकार

अनुप्रिया पटेल की फाइल फोटो

खास बातें

  • यह अवैध धंधा और कमजोर महिलाओं के शोषण का बना साधन
  • सरकार इसके वाणिज्यिक स्‍वरूप को बढ़ावा नहीं देना चाहती
  • सरकार इसे अंतिम विकल्‍प बनानी चाहती है
नई दिल्‍ली:

सरकार ने गुरुवार को कहा कि किराये की कोख (सरोगेसी) का वाणिज्यिक स्वरूप दो अरब डॉलर का अवैध धंधा और कमजोर महिलाओं के शोषण का साधन बन गया है जिस पर रोक लगाते हुए उसने भारत में महिलाओं को 'बच्चे पैदा करने वाली फैक्ट्री' नहीं बनने देने की ठान ली है.

स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि किराये की कोख का वाणिज्यिक स्वरूप बच्चों के शोषण का भी साधन बन गया है खासकर तब जब उन्हें (लावारिस)  छोड़ दिया जाता है.

पटेल ने एनडीटीवी से कहा, ''हम कहना चाहते हैं कि किराये का कोख अंतिम विकल्प है और हम किराये की कोख के वाणिज्यिक स्वरूप को बढ़ावा नहीं देने जा रहे.'' उन्होंने किराये की कोख (विनियमन) अधिनियम, 2016 का भी जिक्र किया.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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